भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200 वीं सालगिरह
फोटो साभार : ANI

पुणे। महाराष्ट्र के पुणे जिले में पेशवा पर अंग्रेजों की जीत की 200वीं सालगिरह पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान हुई हिंसा में एक व्यक्ति के मारे जाने की खबर है। यह लड़ाई भीमा-कोरेगांव की लड़ाई के नाम से जानी जाती है। इसमें ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा की सेना पर विजय प्राप्त की थी। दलित नेता इस ब्रिटिश जीत का जश्न मनाते हैं।

माना जाता है कि तब अछूत माने जाने वाले महार समुदाय के सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की ओर से लड़े थे। हालांकि, पुणे में कुछ दक्षिणपंथी समूहों ने इस ‘ब्रिटिश जीत’ का जश्न मनाये जाने का विरोध किया था।

भीमा कोरेगांव में पथराव और तोड़फोड़

पुलिस ने बताया कि जब लोग गांव में युद्ध स्मारक की ओर बढ़ रहे थे तो सोमवार दोपहर शिरूर तहसील स्थित भीमा कोरेगांव में पथराव और तोड़फोड़ की घटनाएं हुई। एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने सोमवार देर शाम मीडिया को बताया कि हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई है। हालांकि, उसकी पहचान और कैसे उसकी मौत हुई इसका अभी ठीक-ठीक पता नहीं चला है।

हिंसा तब शुरू हुई जब एक स्थानीय समूह और भीड़ के कुछ सदस्यों के बीच स्मारक की ओर जाने के दौरान किसी मुद्दे पर बहस हुई। भीमा कोरेगांव की सुरक्षा के लिए तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘बहस के बाद पथराव शुरू हुआ। हिंसा के दौरान कुछ वाहनों और पास में स्थित एक मकान को क्षति पहुंचाई गई।’’ बताया कि पुलिस ने घटना के बाद कुछ समय के लिये पुणे-अहमदनगर राजमार्ग पर यातायात रोक दिया। गांव में अब हालात नियंत्रण में है।

अधिकारी ने बताया, ‘‘राज्य रिजर्व पुलिस बल की कंपनियों समेत और पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।’’ उन्होंने बताया कि मोबाइल फोन नेटवर्क को कुछ समय के लिये अवरूद्ध कर दिया गया ताकि भड़काऊ संदेशों को फैलाने से रोका जा सके। इस मामले में केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि, ’महाराष्ट्र के सीएम से इस मामले की जांच करने की मांग की है, आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा ना हो पाए। ’

एनसीपी नेता शरद पवार ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, लोग वहां 200 साल से जा रहे हैं। जैसा इस बार हुआ वैसा कभी नहीं हुआ। सभी को उम्मीद थी कि 200वीं सालगिरह पर ज्यादा लोग जुटेंगे। इस मामले में ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।

(एजेंसी)

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