नई दिल्ली। हाल ही में किए गए एक शोध में दावा किया गया है कि विश्वविद्यालयों, तकनीकी और प्रबंध संस्थानों आदि में उच्च शिक्षा हासिल करने जाने वालो लोगों को दिल का दौरा पड़ने का खतरा कम होता है। वैज्ञानिकों के अनुसार उच्च शिक्षा ग्रहण करने में बिताए गए हर 3.6 अतिरिक्त साल से व्यक्ति का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) एक स्तर तक कम हो जाता है। साथ ही विश्वविद्यालयों से डिग्री हासिल करने वालों का रक्तचाप (Blood pressure) भी ठीक रहता है। इस शोध में व्यायाम, आहार और अन्य कारकों को ध्यान में नहीं रखा गया है।
वजन ज्यादा होने पर उच्च रक्तचाप और मधुमेह (Diabetes) का बना खतरा बना रहता है। ये दोनों ही दिल के दौरे के खतरे को बढ़ाते जाते हैं। हालांकि, वैज्ञानिक पहले से ही जानते थे कि जो लोग शिक्षा ग्रहण करने में ज्यादा समय व्यतीत करते हैं उनमें दिल संबंधी बीमारियों का खतरा कम होता है पर अब इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन, यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल, यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड द्वारा किए गए अध्ययन ने उनकी इस धारणा पर मोहर लगा दी है।
बीमारियों की अनदेखी नहीं करते उच्च शिक्षित लोग
दरअसल, शोधकर्ता यह जानना चाहते थे कि आखिर उच्च शिक्षा ग्रहण करने से दिल संबंधी बीमारियों का खतरा कम कैसे होता है। शोध में पाया गया कि जो लोग उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं उनकी आधी से ज्यादा सुरक्षा सही वजन, धूम्रपान की आदतों और रक्तचाप पर निर्भर करती है। शोधकर्ताओ का कहना है कि उच्च शिक्षा ग्रहण करने वाले लोग बीमारियों को अनदेखा नहीं करते और स्वास्थ्य संबंधी कोई भी समस्या होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करते हैं। उनकी निजी स्वास्थ्य सुविधाओं तक भी पहुंच होती है। इसके विपरीत कम पढ़े-लिखे लोग समय पर डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं।
इस अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने 2 लाख से ज्यादा लोगों के आंकड़ों की समीक्षा की और शिक्षा ग्रहण करने की अवधि की तुलना कई अन्य कारकों से की। इन कारकों में बीएमआई, रक्तचाप, धूम्रपान की आदतें और दिल के दौरों को शामिल किया गया। शोधकर्ताओं की टीम ने 10 लाख लोगों के जेनेटिक डाटा की भी जांच की। सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमोरफिज्म नामक डीएनए की भी जांच की गई। इस डीएनए का शिक्षा ग्रहण में बिताए गए समय से संबंध पाया गया।
बीएमजे में प्रकाशित शोध के परिणामों के अनुसार उच्च शिक्षा में मौजूद लोगों में हृदयघात का खतरा (कम बीएमआई, सही रक्तचाप और धूम्रपान न करने से) 40 प्रतिशत तक कम हो सकता है।