नई दिल्ली। आतंकवाद के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारतीय रेलवे अपने यात्रियों की हिफाजत के लिए उच्च स्तरीय इंतजाम करेगी। यात्रियों और उनके सामान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नई दिल्ली, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल (मुंबई) हावड़ा समेत देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों पर हवाई अड्डों जैसे सुरक्षा इंतजाम किए जाएंगे। प्लेटफॉर्म और ट्रेनों को अनधिकृत पहुंच से सुरक्षित रखने के लिए रेलवे स्टेशनों को हर तरफ से बंद कर दिया जाएगा और अंदर आना केवल सुरक्षा चैनलों के माध्यम से ही संभव हो सकेगा। प्रवेश के स्थानों पर लगे स्कैनिंग उपकरणों को उन्नत किया जाएगा और महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों में प्रमुख स्थानों रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के उच्च प्रशिक्षित कमांडो तैनात किए जाएंगे। इंटेलिजेंस सेवाओं को सुधारने का भी प्रयास किया जा रहा है।
सूत्रों को अनुसार जिन रेलवे स्टेशनों पर सिक्योरिटी एक्सेस कंट्रोल सिस्टम स्थापित किए जाने हैं, उनके लिए सरकार ने पहले ही 114.18 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए हैं। महत्वपूर्ण स्टेशनों के चारों तरफ जो दीवार बनाई जाएगी उसकी लंबाई लगभग 3,000 किलोमीटर होगी।
सुरक्षा को सर्वोच्च वरीयताः अरुण कुमार
आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने कहा कि उनकी सर्वोच्च वरीयता सुरक्षा है। इस समय प्रमुख रेलवे स्टेशन तक पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं। व्यस्त स्टेशनों पर कई-कई प्रवेश और निकास द्वार हैं और ज्यादातर स्टेशन अनधिकृत प्रवेश को बुलावा देते हुए लगभग हर तरफ से खुले हैं। इसलिए हम प्रवेश और निकास द्वारों पर नियंत्रण करने की योजना बना रहे हैं जिससे अनधिकृत प्रवेश की संभावना कम से कम रहे।
खुफिया रिपोर्ट्स और सुरक्षा संबंधित सलाहों को मानें तो आतंकवादियों के लिए रेलवे स्टेशनों पर हमला करना आसान रहा है। वे भीड़ भरे प्लेटफॉर्म पर आसानी से पहुंच जाते हैं। छत्रपति शिवाजी टर्मिनल (मुंबई), दिल्ली, वाराणसी, लखनऊ और गुवाहाटी जैसे प्रमुख रेलवे स्टेशनों को आतंकवादी पहले निशाना बना चुके हैं। चलती हुई ट्रेन में भी सिलसिलेवार बम धमाके हो चुके हैं। यार्डों में चोरी होने से भी रेलवे को राजस्व का भारी नुकसान होता है।
आरपीएफ कमांडो की नई बटालियन तैयार
भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा के कई इंतजामों को अमलीजामा पहुंचाने के साथ ही आरपीएफ कमांडो की एक नई बटालियन भी तैयार की है। ये कमांडो फिलहाल नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात किए गए हैं। अगला कदम कोल बेल्ट (कोयला उत्पादन वाले क्षेत्र) और बांग्लादेशी सीमा से लगे पूर्वोत्तर क्षेत्र को सुरक्षित करना होगा।