नयी दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के पास फैसले देने के लिए अब 20 कार्यदिवस ही शेष हैं। वह 2 अक्टूबर को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। ऐसे में संभावना जतायी जा रही है कि सीजेआई दीपक मिश्रा आने वाले कुछ दिनों में राम जन्मभूमि समेत कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसला सुना सकते हैं। दीपक मिश्रा इसके अलावा आधार मामले पर भी फैसला सुनाने को तैयार हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने याचिका दायर कर आधार की संवैधानिक वैधता और 2016 के कानून को सक्षम करने के लिए चुनौती दी है। एक संविधान पीठ ने 38 दिनों तक मैराथन तरीके से सुनवाई करने के बाद 10 मई को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख दिया था। वहीं, सविंधान पीठ द्वारा धारा 377 को लेकर भी फैसला सुनाए जाने की उम्मीद है। इस मामले में चली सुनवाई के बाद फैसला 17 जुलाई को सुरक्षित रख लिया गया था।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 जजों वाली बेंच को अयोध्या मामले में भी फैसला सुनाना है। साल 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाते हुए कहा था कि मस्जिद में नमाज पढ़ना इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। इसी को लेकर उम्मीद है कि फैसला सुनाया जा सकता है कि फैसले को दोबारा कोर्ट की संवैधानिक पीठ के सामने भेजा जाए या फिर नहीं। अगर पीठ मुस्लिम दलों के पक्ष में फैसला करता है तो फिर मामला सात न्यायाधीशों की एक बड़ी खंड में भेजा जाएगा।
वरिष्ठ वकील ज्ञानंत सिह ने कहा कि अगले कुछ सप्ताह देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट इस दौरान कई अहम मामलों में फैसला दे सकता है जो राजनैतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह एक अभूतपूर्व स्थिति है कि दूरगामी प्रभाव वाले इतने सारे फैसले दिए जाएंगे।
दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के सरकारी नौकरियों में एससी/एसटी के प्रमोशन में आरक्षण मामले में भी फैसला सुनाने की उम्मीद है। इसके अलावा सबरीमाला मंदिर में एक वर्ग की महिलाओं की एंट्री को लेकर भी दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामला सुरक्षित रखा है। इसे लेकर भी आने वाले हफ्तों में फैसला सुनाया जा सकता है।
दागी नेताओं के चुनाव पर रोक लगाए जाने को लेकर भी कोर्ट में आने वाले दिनों में फैसला सुनाया जा सकता है। कोर्ट फैसला सुनाएगा कि क्या जिन दागियों के खिलाफ मामला दर्ज है, उनपर चुनाव लड़ने से रोक लगाई जाए अथवा नहीं? इसके अतिरिक्त चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा आने वाले दिनों में अडल्टरी मामले में भी फैसला सुना सकते हैं।