वर्ष 2005 के इस मामले में ये 22 लोग मुकदमे का सामना कर रहे थे।इनमें ज्यादातर पुलिसकर्मी हैं। मामले की सुनवाई मुंबई में सीबीआई की एक विशेष अदालत में चल रही थी।
नई दिल्ली। सोहराबुद्दीन शेख-तुलसीराम प्रजापति कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में मुंबई स्थित सीबीआई की एक विशेष अदालत ने सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि तुलसी प्रजापति को साजिश के तहत मारने की बात गलत है। आरोप यकीन करने लायक नहीं हैं। वर्ष 2005 को इस मामले में ये लोग 13 साल से फैसले का इंतजार कर रहे थे। इनमें से ज्यादातर आरोपी गुजरात और राजस्थान के कनिष्ठ स्तर के पुलिस अधिकारी हैं।
इस मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को 2014 में आरोप मुक्त कर दिया गया था। शाह इन घटनाओं के वक्त गुजरात के गृह मंत्री थे। मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष के करीब 92 गवाह मुकर गए थे। इस महीने की शुरुआत में आखिरी दलीलें पूरी किए जाने के बाद सीबीआई मामलों के विशेष न्यायाधीश एसजे शर्मा ने कहा था कि वह 21 दिसंबर को फैसला सुनाएंगे।
सीबीआई के अनुसार, आतंकवादियों से संबंध रखने वाला कथित गैंगेस्टर शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और उसके सहयोगी प्रजापति को गुजरात पुलिस ने एक बस से उस वक्त अगवा कर लिया था, जब वे लोग 22 और 23 नवंबर 2005 की दरम्यिानी रात हैदराबाद से महाराष्ट्र के सांगली जा रहे थे। शेख की 26 नवंबर 2005 को अहमदाबाद के पास कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी गई। कौसर बी को तीन दिन बाद मारकर शव को ठिकाने लगा दिया गया। सालभर बाद 27 दिसंबर 2006 को प्रजापति की गुजरात और राजस्थान पुलिस ने गुजरात-राजस्थान सीमा के पास चापरी में कथित फर्जी मुठभेड़ में गोली मार कर हत्या कर दी।
अभियोजन ने इस मामले में 210 गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से 92 मुकर गए। इस बीच, बुधवार को अभियोजन के दो गवाहों ने अदालत में अर्जी दी कि उनसे फिर से पूछताछ की जाए। इनमें से एक का नाम आजम खान है और वह शेख सोहराबुद्दीन का सहयोगी था। उसने अपनी याचिका में दावा किया है कि शेख पर कथित तौर पर गोली चलाने वाले आरोपी एवं पूर्व पुलिस इंस्पेक्टर अब्दुल रहमान ने उसे धमकी दी थी कि मुंह खोलने पर उसे झूठे मामले में फंसा दिया जाएगा। एक अन्य गवाह एक पेट्रोल पंप का मालिक महेंद्र जाला है। कोर्ट दोनों याचिकाओं पर शुक्रवार को फैसला करेगी।