यह भी कहा जा रहा है कि कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने फिजूलखर्ची रोकने के लिए यह कदम उठाया है। बहरहाल, बैंकों को मीसाबंदी पेंशन योजना के तहत किया जाने वाला भुगतान रोकने के निर्देश दे दिए गए हैं।

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में मीसाबंदियों (आपातकाल के दौरान जेल जाने वालों) को मिलने वाली पेंशन पर रोक लगा दी गई है। हालांकि सरकार की ओर से कहा गया है कि मीसाबंदी पेंशन योजना के तहत कई अपात्र लोगों को भी पेंशन मिल रही थी, इसलिए पहले इसकी जांच होगी और उसके बाद ही इस योजना को लेकर फैसला किया जाएगा। तब तक यह योजना बंद रहेगी। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने फिजूलखर्ची रोकने के लिए यह कदम उठाया है। बहरहाल,बैंकों को मीसाबंदी पेंशन योजना के तहत किया जाने वाला भुगतान रोकने के निर्देश दे दिए गए हैं।

मप्र की भाजपा सरकार ने इंदिरा गांधी के शासनकाल में आपातकाल के दौरान जेल में डाले गए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी व स्वयंसेवकों के लिए यह योजना शुरू की थी। कुछ कांग्रेसी नेता खुलकर मीसाबंदियो पेंशन योजना को फिजूल खर्च बता चुके हैं। उनके अनुसार भाजपा सरकार ने अपने खास लोगों को उपकृत करने के लिए यह योजना शुरू की और इस पर हर साल 75 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। कांग्रेस की मीडिया प्रभारी शोभा ओझा ने कहा था कि भाजपा सरकार मीसाबंदियों को 25,000 रुपये प्रति माह दे रही थी जबकि स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन नहीं मिल रही। यह फिजूलखर्ची है और इसे बंद किया जाना चाहिए।

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मुख्यमंत्री कमलनाथ पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया है, ‘ इंदिरा गांधी के तीसरे बेटे ने मीसा पेंशन योजना को बंद कर दिया। यह पेंशन उन लोगों के लिए थी, जिन्होंने भारत के सबसे काले दिनों (आपातकाल काल) के दौरान लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए लड़ाई लड़ी थी।’

क्या है मीसाबंदी पेंशन योजना

इंदिरा गांधी के शासनकाल में आपातकाल के दौरान जेल में डाले गए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी-स्वयंसेवकों के लिए यह योजना शुरू की गई थी। इसके तहत 2000 से ज्यादा लोगों को 25 हजार रुपये मासिक पेंशन दी जाती है। शिवराज सरकार ने साल 2008 में यह योजना शुरू की। 2008 में 3000 रुपये से शुरू की गई इस पेंशन योजना का धनराशि धीरे-धीरे बढ़ाई जाती रही और 2017 में यह 25 हजार रुपये प्रति माह हो गई।

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