सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिकी फार्मा कंपनी को बड़ा झटका देते हुए कहा है कि हिप इंप्लांट मामले के पीड़ितों के लिए तीन लाख से लेकर 1.22 करोड़ रुपये के मुआवजे का प्रावधान बिल्कुल सही है।

नई दिल्‍ली। अपने उत्पादों की क्वालिटी को लेकर अमेरिका में भारी फजीहत झेल चुकी अमेरिकी फार्मा कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन को अब भारत में भी बड़ा झटका लगा है। उसको अब भारत सरकार की ओर से तय किए गए मुआवजे के आधार पर ही घटिया हिप इंप्लांट मामले में मरीजों को भुगतान करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ‘जॉनसन एंड जॉनसन’ को घटिया हिप इंप्लांट के शिकार हुए मरीजों को हर हाल में मुआवजा देना होगा। केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी ने कंपनी को तीन लाख रुपये से लेकर 1.22 करोड़ रुपये तक का मुआवजा देना को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे सही माना है। गौरतलब है कि हिप इंप्लांट में इस्तेमाल होने वाले खराब उपकणों की वजह से 14 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं।


शीर्ष अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि इस मुआवजे के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को बताया जाए ताकि जितने भी मरीज हिप इंप्लांट की प्रक्रिया में प्रभावित हुए हैं, उन सबको मुआवजा मिल सके। दरअसल, सरकार ने इस मामले में गठित एक समिति की सिफारिश के आधार पर मुआवजे का फॉर्मूला तैयार किया था। जॉनसन एंड जॉनसन ने इस पर यह कहकर आपत्ति जताई थी कि मुआवजे के फॉर्मूले के बारे में सरकार ने उससे कोई राय नहीं ली।

ये है मामला

यह मामला वर्ष 2004 से 2010 के बीच जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी के हिप इंप्लांट से उपकरणों से जुड़ा है। इस फॉर्मा कंपनी के हिप इंप्लांट डिवाइस की वजह से दुनिया भर में कई मरीजों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा। कंपनी के अनुसार भारत में 2006 व उसके बाद इन उपकरणों के तहत 4,700 सर्जरी हुई थीं, जिसमें 2014 से 2017 के बीच 121 गंभीर मामले सामने आए थे। भारत में जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी के गलत हिप इंप्लांट सिस्टम की वजह से तकरीबन 3600 मरीज प्रभावित हुए हैं।

उत्पादों पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं सवाल

जॉनसन एंड जॉनसन के उत्पादों पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं। जुलाई 2017 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के मिसौरी राज्य में कई महिलाओं ने कंपनी के पाउडर संबंधित उत्पादों के कारण गर्भाशय का कैंसर होने का मामला दर्ज कराया था। जांच के दौरान पीड़ितों द्वारा लगाए गए आरोप सही साबित हुए। इस पर कंपनी पर 32000 करोड़ रुपये का भारी-भरकम जुर्माना लगाया गया था।

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