नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में होने वाले पंचायत चुनाव के लिए नए नियमों को हरी झंडी दिखा दी है। इसके बाद अब यहां केवल पढ़े-लिखे उम्मीदवार ही इस चुनाव में खड़े हो सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में खट्टर सरकार के नए नियम पर लगाए गए स्टे को खत्म कर दिया है।
मालूम हो कि हरियाणा में मनोहर खट्टर सरकार ने राजनीति का स्तर सुधारने के लिए नया कदम उठाते हुए 11 अगस्त को मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा पंचायती राज अधिनियम 1994 में संशोधन करके नए नियम बनाए गए थे, जिन पर हरियाण हाई कोर्ट ने स्टे लगा दिया था। इसके बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील थी जिस पर गुरुवार को फैसला आया है।
सरकार ने अधिनियम में संशोधन करके पंचायती राज संस्थाओं के सभी स्तरों के निर्वाचित प्रतिनिधियों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता मैट्रिक व महिलाओं तथा अनुसूचित जाति के लिए 8वीं पास तय कर दी थी।
अधिनियम में जो संशोधन किए गए थे उनके उनुसार पंचायती राज संस्थाओं में सभी स्तर के निर्वाचित प्रतिनिधियों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 10 पास होना जरूरी है वहीं महिलाओं और अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों का 8वीं पास होना आवश्यक है।
इसके अलावा जिन लोगों पर अपराधिक मामले दर्ज हैं और उन्हें अन मामलों में 10 वर्ष तक की सजा हो सकती है वो भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। साथ ही जिन लोगों ने सहकारी बैंकों से लिया गया कर्ज नहीं चुकाया है वो भी अयोग्य करार दिए गए हैं।
इसके अलावा अधिनियम में दो और संशोधन किए गए हैं जिनके अनुसार उम्मीदवार घरेलू बिजली कनेक्शन की बकाया राशी चुकाने के बाद ही चुनाव लड़ पाएंगे साथ ही चुनाव में खड़ा होने के लिए उनके घर चालू शोचालय होना जरूरी है।