सियोल/नई दिल्ली। दक्षिण कोरियाई महामारी विज्ञानियों के एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आयी है कि बाहर की जगह अपने घर के सदस्यों से संपर्क में आने से कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा अधिक है। यू.एस. सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) में 16 जुलाई को प्रकाशित एक अध्ययन में 5,706 “इंडेक्स मरीजों” पर विस्तार से देखा गया, जो कोरोना वायरस पॉजिटिव थे और 59,000 से अधिक लोग जो उनके संपर्क में आए थे।
निष्कर्षों से पता चला है कि 100 में से सिर्फ 2 लोगों में संक्रमण घर के बाहर से आया है जबकि 10 में से 1 को अपने ही परिवारों से संक्रमण लगा। शोध में यह भी पाया गया कि जब बुजुर्ग और किशोर कोरोना वायरस से संक्रमित हुए तब घर के ज्यादा लोग इस महामारी की चपेट में आए।
दक्षिण कोरिया महामारी रोकथाम सेंटर (KCDC) के डायरेक्टर जिओंग इउन क्योंग ने कहा, “ऐसा इसलिए है कि इस उम्र समूह के लोगों का परिवार के सदस्यों से नजदीकी संपर्क होता है और उन्हें ज्यादा संरक्षण या सहायता की जरूरत होती है।” अध्ययन में यह भी पाया गया है कि बच्चों में कोरोना वायरस के गंभीर मामलों का खतरा कम होता है। यह आंकड़े 20 जनवरी से लेकर 27 मार्च के बीच इकट्ठा किए गए थे।
गौरतलब है कि भारत में दिल्ली, बरेली आदि में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें परिवार के किसी एक व्यक्ति के कोरोना संक्रमित होने पर लगभग पूरा परिवार ही वायरस के संक्रमण का शिकार हो गया। बरेली में सुभाषनगर में मिले पहले पॉजिटिव केस (जो नोएडा में काम करता था) तथा उत्तर प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल के मामले को नजीर के तौर पर रखा जा सकता है जिसमें परिवार के कई लोग संक्रमित हो गए। इसी प्रकार दिल्ली में एक ही खानदान के करीब दो दर्जन लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे।