नई दिल्ली। मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश पर रोक को अवैध और असंवैधानिक घोषित करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने हिन्दू महासभा की याचिका को खारिज करते हुए कहा, “पहले इस मांग को लेकर किसी मुस्लिम महिला को आने दें, फिर हम विचार करेंगे।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपका (हिन्दू महासभा का) इस मामले से कोई संबंध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट इससे पहले मस्ज़िद में नमाज की इजाज़त पर महाराष्ट्र के मुस्लिम दंपति की याचिका स्वीकार कर चुका है।
दरअसल, हिन्दू महासभा ने केरल हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसमें इस मांग को खारिज कर दिया गया था। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई थी कि इस बारे में वह बकायदा निर्देश जारी करे। याचिका में तर्क दिया गया था कि मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश पर रोक उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
गौरतलब है कि ऐसी ही एक याचिका पर अगस्त 2016 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने महिलाओं को मुंबई स्थित हाजी अली दरगाह की मजार तक जाने पर लगे प्रतिबंध को हटाने का आदेश दिया था। तब हाईकोर्ट ने कहा था कि महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध संविधान में दिए गए उनके मूलभूत अधिकारों का हनन है। हालांकि, हाईकोर्ट के इस फैसले को दरगाह ट्रस्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गई थी लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। इसके बाद पहली बार महिलाओं ने हाजी अली दरगाह के अंदरूनी हिस्सों में प्रवेश किया था।
दरअसल, महिलाओं के पक्ष में कई फैसलों के आने के बाद अब मुस्लिम महिलाओं को भी मस्जिद में नमाज पढ़ने देने की मांग भी जोर पकड़ने लगी है। सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद केरल में मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश के लिए हिंदू महासभा की ओर से एक याचिका दाखिल की गई थी। सुप्रीम कोर्ट पिछले साल ही सबरीमाला मंदिर में भी सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दे चुका है।