नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वॉट्सऐप से कहा कि आपकी नई प्राइवेसी के बाद भारतीय लोगों में निजता को लेकर काफी आशंकाए हैं। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि आप भले ही 2-3 ट्रिलियन की कंपनी हों, लेकिन लोगों की निजता इससे कहीं ज्यादा कीमती है।  मुख्य न्यायाधीश ने इस प्राइवेसी पॉलिसी को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर वॉट्सऐप, फेसबुक और केंद्र से जवाब मांगा है।

अदालत ने वरिष्ठ वकील श्याम दीवान की उस दलील का भी समर्थन किया जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में डेटा प्रोटेक्शन को लेकर कोई कानून नहीं है।  मुख्य न्यायाधीश बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम की पीठ ने एक सुर में कहा कि मिस्टर दीवान की दलील से हम प्रभावित हैं। ऐसा कानून प्रभाव में लाना चाहिए। वॉट्सऐप अपनी नई प्राइवेसी के तहत भारतीयों का डेटा शेयर करेगा। इस डेटा शेयरिंग को लेकर भारतीयों में आशंकाएं हैं।

यूरोपीय नियमों पर सवाल और वॉट्सऐप का जवा

सुप्रीम कोर्ट ने यूरोप की तुलना में भारत में प्राइवेसी स्टैंडर्ड गिराए जाने के आरोपों पर वॉट्सऐप से जवाब मांगा है। वॉट्सऐप ने इस पर कहा कि यूरोप में प्राइवेसी को लेकर खास कानून हैं। अगर भारत में भी वैसे ही कानून हों तो हम उनका भी पालन करेंगे।

यह है वॉट्सऐप की नई पॉलिसी

वॉट्सऐप यूजर जो कंटेंट अपलोड, सबमिट, स्टोर, सेंड या रिसीव करते हैं, कंपनी उसका इस्तेमाल कहीं भी कर सकती है। कंपनी उस डेटा को शेयर भी कर सकती है। यह पॉलिसी 8 फरवरी, 2021 से लागू होनी थी लेकिन विवाद बढ़ने के बाद डेडलाइन को बढ़ाकर 15 मई, 2021 कर दिया गया है। पहले दावा किया गया था कि अगर यूजर इस पॉलिसी को एग्री नहीं करता है तो वह अपने अकाउंट का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। हालांकि, बाद में कंपनी ने इसे ऑप्शनल बताया था।

दिल्ली हाईकोर्ट में भी चल रही है सुनवाई

ट्सएप की नई पॉलिसी को लेकर पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। पहली सुनवाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा था कि वाट्सऐप एक प्राइवेट मैसेजिंग ऐप है और यदि इससे आपकी निजता भंग होती है कि आप इस ऐप को डिलीट कर दें। आप जिस ऐप पर भरोसा करते हैं उस ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं।

भारत सरकार सोशल मीडिया पर सख्त

भारत सरकार ने हाल ही में सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन के बारे में फेक न्यूज, आपत्तिजनक और हिंसा भड़काने वाले कंटेंट को लेकर नाराजगी जताई थी। राज्यसभा में आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था, “हम सोशल मीडिया का सम्मान करते हैं। इसने आम लोगों को ताकत दी है। डिजिटल इंडिया प्रोग्राम में भी सोशल मीडिया की भूमिका काफी अहम है लेकिन अगर इससे फेक न्यूज और हिंसा को बढ़ावा मिलता है तो हम कार्रवाई करेंगे। फिर वह ट्विटर हो या कोई प्लेटफार्म।”

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