वाशिंगटन। कोरोना के खिलाफ जंग में अहम हथियार बनकर सामने आए भारत के स्वदेशी टीके कोवैक्सीन का लोहा अमेरिका ने भी मान लिया है। व्हाइट हाउस के मुख्य चिकित्सा सलाहकार डॉ. एंथनी फासी ने कहा है कि कोवैक्सीन कोरोना वायरस के बी.1.617 वैरिएंट को निष्प्रभावी करने में सक्षम है। इस वैरिएंट को इंडियन स्ट्रेन और डबल म्यूटेंट भी कहा जाता है।
कोवैक्सीन पर फासी का बयान इसलिए भी अहम है, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में मिला यह वैरिएंट कम से कम 17 देशों में देखा जा चुका है।
भारत में संक्रमण की दूसरी लहर के बहुत तेजी से फैलने में इस वैरिएंट की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। फासी ने मंगलवार को कांफ्रेंस कॉल में संवाददाताओं से कहा, “अभी हालात ऐसे हैं कि रोज नए आंकड़े सामने आ रहे हैं। फिलहाल नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि कोवैक्सीन कोरोना के 617 वैरिएंट (डबल म्यूटेंट) को निष्प्रभावी करने में कारगर है। इसलिए भारत में हम जो मुश्किल हालात देख रहे हैं, उसके खिलाफ टीकाकरण सबसे अहम हथियार है।”
न्यूयार्क टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोवैक्सीन इम्यून सिस्टम को कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने के लिए प्रशिक्षित करता है। ये एंटीबॉडी वायरस के स्पाइक प्रोटीन को निशाना बनाती हैं।
कोवैक्सीन को हैदराबाद की भारत बायोटेक कंपनी ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर तैयार किया है। परीक्षण में इसे वायरस के खिलाफ 78 प्रतिशत कारगर पाया गया है।
राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के साथ साझेदारी में भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोवैक्सीन के आपातकालीन प्रयोग को तीन जनवरी को मंजूरी मिली थी। परीक्षण के परिणामों में बाद में सामने आया कि यह टीका 78 प्रतिशत तक प्रभावी है।
इस कठिन समय में अमेरिका भारत के साथ : डॉ. एंडी स्लेविट
व्हाइट हाउस के कोविड रेस्पांस सीनियर एडवाइजर डॉ. एंडी स्लेविट ने बताया कि सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की एक टीम मदद के लिए भारत पहुंच रही है। उन्होंने कहा कि हम भारत में ज्यादा वैक्सीन निर्माण के लिए कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित कर रहे हैं जो बहुत मददगार होगा। मुश्किल वक्त में भारत के सहयोग का भरोसा दिलाते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत को कई जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति की दिशा में काम कर रहा है।