नई दिल्ली। निर्वाणी अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा अयोध्या मामला अदालत के बाहर सुलझाने की इच्छा जताते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता पैनल को पत्र लिखने के बाद बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का इस मामले में बड़ा बयान आया है। कमेटी के संयोजक कासिम रसूल इलियास ने सोमवार को बयान दिया है कि उन्हें अब किसी भी तरह की बातचीत मंजूर नहीं है। इलियास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में  अब तक 50 प्रतिशत सुनवाई हो चुकी है। उसका फैसला ही सबको मान्य होगा।

गौरतलब है कि बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने गठित की है। वह अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक पक्षकार है। दरअसल, इस मामले में बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी की सक्रियता में ज्यादा तेजी जमात उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना शोहेब कासमी के बयान के बाद आयी जिसमें उन्होंने कहा था, “अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के प्रभावशाली लोगों को शामिल कर बातचीत होगी। विवाद सुलझाने के लिए कई प्रयास हुए। पहले हुई मध्यस्थता प्रक्रिया में कमजोर नेताओं को शामिल किया गया था।” मौलाना सुहैब कासमी ने कहा कि 2016 में अयोध्या वार्ता कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी एक बार फिर भूमि विवाद को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों के प्रभावशाली लोगों को शामिल कर बातचीत करेगी। मध्यस्थता प्रक्रिया उम्मीद के मुताबिक अक्टूबर से शुरू होगी।

कासमी ने कहा, “अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए कई प्रयास हुए। पहले हुई मध्यस्थता प्रक्रिया में कमजोर नेताओं को शामिल किया गया। इसके चलते कोई नतीजा नहीं निकल सका। कई मुस्लिम चाहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर बने। वे यह भी चाहते हैं कि मंदिर के पास ही मस्जिद का निर्माण हो। इससे धार्मिक सौहार्द का संदेश जाएगा।”

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