नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को “गैरकानूनी रूप से हिरासत” में रखे जाने के आरोप वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई ने कहा कि अब इस मामले में कुछ बचा नहीं है। यह याचिका एमडीएमके नेता वाइको ने दाखिल की थी। इसके अलावा धारा 370 के खात्मा किए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में लगाई गई पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ मंगलवार को सुनवाई करेगी।
सीजेआई ने कहा कि इन याचिकाओं को मुख्य मामले के साथ जोड़ दिया गया है जिस पर मंगलवार, एक अक्टूबर को सुनवाई होनी है।.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को दो सप्ताह में कश्मीर के हालात पर जवाब दाखिल करने को कहा था। शीर्ष अदालत ने पूछा था कि हलफनामा दाखिल कर बताएं कि राज्य में कब तक हालात सामान्य हो जाएंगे। अदालत ने सरकार से कहा था कि जम्मू-कश्मीर में सामान्य जनजीवन सुनिश्चित करें लेकिन इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा को भी ध्यान में रखा जाए, यह मामला काफी गंभीर है।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एमडीएमके प्रमुख वाइको की बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कार्पस) याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 30 सितंबर तक जवाब मांगा था। वाइको ने याचिका में कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को 15 सितंबर को चेन्नई में तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुरई की 111वीं जयंती में शामिल होना था लेकिन 6 अगस्त के बाद उनसे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है। जम्मू-कश्मीर में नेताओं की नजरबंदी के खिलाफ दायर 8 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी।
कश्मीर टाइम्स की संपादक की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि कश्मीर में इंटरनेट बंद है, मीडिया सही काम नहीं कर पा रही है।इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने बताया था कि कश्मीर में न्यूज पेपर 5 अगस्त से पब्लिश हो रहे हैं, दूरदर्शन, लोकल टीवी चैनल और रेडियो भी चालू हैं। मीडियाकर्मियों को इंटरनेट और टेलीफोन समेत सभी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। राज्य में लैंडलाइन और अन्य संचार साधन चालू हो गए हैं और तमाम पाबंदियां हटा ली गई हैं। चिकित्सा सुविधाओं बेहतर तरीके से संचालित हो रही हैं और 5.5 लाख लोग ओडीपी में इलाज करा चुके हैं।