नई दिल्ली। वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में युवती का अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म के मामले में सोमवार को दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी करार दिया। अदालत ने 10 दिसंबर को सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला 16 दिसंबर के लिए सुरक्षित रख लिया था। 19 दिसंबर को सजा पर बहस होगी। अदालत ने सेंगर की सहयोगी शशि सिंह को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया। अदालत ने चार्चशीट में देरी को लेकर सीबीआई को फटकार भी लगाई।
सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा द्वारा दोषी करार दिए जाने पर कुलदीप सिंह सेंगर अदालत में ही रोने लगा जबकि शशि सिंह बरी होने का फैसला सुनते ही बेहोश हो गई। शशि सिंह पर पीड़ित युवती को विधायक के घर बहला-फुसलाकर ले जाने का आरोप था।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामले की सुनवाई लखनऊ से दिल्ली स्थानांतरित की गई थी। सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा की अदालत 5 अगस्त से प्रतिदिन मामले की सुनवाई कर रही है। अदालत ने बाल यौन अपराध संरक्षण (पॉक्सो) की धारा 3 व 4 (नाबालिग से दुष्कर्म) और भादंसं की धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 363 (अपहरण), 366 (अपहरण एवं महिला पर विवाह के लिए दबाव डालना), 376 (दुष्कर्म) की प्रासंगिक धाराओं के तहत आरोप तय किए थे। उस समय अदालत ने कहा था कि 4 जून 2017 को नौकरी दिलाने के नाम पर अपनी सहयोगी शशि सिंह के साथ मिलकर कुलदीप सेंगर ने साजिश रची और सहमति के बगैर 16-17 साल की किशोरी के साथ शारीरिक संबंध बनाने का अपराध किया।
यह है उन्नाव कांड
यह मामला उस समय सुर्खियों में आया था जब पीड़िता और उसकी मां ने मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के आवास के बाहर आत्मदाह करने की कोशिश की थी। पीड़िता के पिता के खिलाफ 3 अप्रैल 2018 को शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था और पुलिस हिरासत में अत्यधिक पिटाई के कारण उसकी मौत हो गई थी। 28 जुलाई को चाचा से मिलकर वापस लौटने के दौरान रायबरेली में पीड़िता, उसकी चाची, मौसी और वकील की कार को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इसमें चाची और मौसी की मौत हो गई थी जबकि पीड़िता व उसके वकील घायल हो गए थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से लखनऊ से दिल्ली लाकर घायलों को एम्स में भर्ती कराया गया था, जहां कई दिन तक इलाज चला। फिलहाल पीड़िता अपने परिवार के साथ दिल्ली में ही रह रही है, क्योंकि परिवार ने उन्नाव लौटने से इन्कार कर दिया था।