प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार फिर दो सप्ताह का लॉकडाउन लगाने का सुझाव दिया है। अदालत ने बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान कहा कि उत्तर प्रदेश में स्थिति नियंत्रण से बाहर है। ऐसे में “हाथ जोड़कर” राज्य सरकार से अनुरोध है कि दो सप्ताह के लिए बड़े शहरों में लॉकडाउन लगाएं। हाईकोर्ट ने साथ ही योगी आदित्यनाथ सरकार फटकार भी लगाई। सवाल किया है कि पंचायत चुनावों में कोरोना गाइडलाइन्स का पालन क्यों नहीं किया गया?

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटों के भीतर 29 हजार 824 नए मामले सामने आए हैं। ऑक्सीजन की कमी, बेड की किल्लत और जरूरी दवाओं के अभाव में बीते कई दिनों से कई मरीजों की जान जा चुकी है। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने योगी आदित्यनाथ सरकार को जमकर फटकारा।

हाईकोर्ट ने कहा कि प्रदेश में स्थिति नियंत्रण से बाहर चली गई है। डॉक्टरों की कमी है। ऑक्सीजन नहीं है, एल-1, एल-2 हॉस्पिटल नहीं हैं। कागजों पर सब कुछ अच्छा है लेकिन जमीन पर सुविधाओं की भारी किल्लत है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा ने आगे कहा कि हम (योगी सरकार से) हाथ जोड़कर आपसे अपने विवेक का इस्तेमाल करने का अनुरोध करते हैं। …अगर राज्य के हालात नियंत्रण में नहीं हैं तो दो सप्ताह का लॉकडाउन लगाने में देरी न करें और अपने निति निर्माताओं को सुझाव दें।

हाईकोर्ट ने दूसरी बार दिया लॉकाउन का सुझाव

इससे पहले एक मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 26 अप्रैल से लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी और इलाहाबाद में पूर्ण लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया था। हालांकि, सरकार ने लोगों की अजीविका पर संकट का हवाला देते हुए लॉकडाउन लगाने से इन्कार कर दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के इस कदम को सही ठहराया और कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना की रोकथाम के लिए जरूरी और सख्त कदम उठाए हैं।

प्रदेश में कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए पहले से ही नाइट कर्फ्यू और वीकेंड लॉकडाउन लागू है। इसके तहत शुक्रवार शाम से सोमवार सुबह तक प्रदेश के हर जिले में जरूरी कामों को छोड़कर अन्य गतिविधियां बंद रहती हैं।

 

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