जेनेवा। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस के मोटे तौर पर दो तरह के मरीजों की पहचान हुई है- पहला, लक्षण वाले मरीज और दूसरा, बिना लक्षण वाले(Asymptomatic)मरीज। जाहिर है कि लक्षण वाले मरीजों को देखते ही सभी सावधान हो जाते हैं। लेकिन, असली समस्या बिना लक्षण वाले(Asymptomatic)मरीजों को लेकर है और सवाल भी इन्हें लेकर ही उठ रहे हैं। इसका जवाब दिया है विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टेड्रोस गेब्रेयेसस ने।
टेड्रोस गेब्रेयेसस नेकहा है किकॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कर रहे कई देशों ने एसिम्टोमेटिक (बिना लक्षण वाले) केसों की पहचान तो की लेकिन उन्हें इससे वायरस के आगे फैलने के सबूत नहीं मिले। उन्होंने कहा कि कई मामलों में यह बहुत रेयर था। यानी बिना लक्षण वाले मरीजों से संक्रमण फैलने की संभावना बहुत ही कम है।
ट्रेडोस ने कहा कि जिन देशों में संक्रमण की स्थिति सुधर रही है वहां पर अब सबसे बड़ी चुनौती इससे बचाव के उपायों का पालन करवाना है। संक्रमण से बचने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना जरूरी है। एक नए अध्ययन में सामने आया है कि मास्क संक्रमण रोकने में मददगार है।
एक ऑनलाइन ब्रीफिंग में ट्रेडोस ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण के मामले में यूरोप में स्थिति सुधर रही है। इस महामारी का एपिसेंटर पहले पूर्व एशिया था। इसके बाद यूरोप में यह तेजी से फैला। अब इसकी जगह अमेरिका ने ले ली है। साउथ अमेरिका अब इसका नया ऐपीसेंटर बनता दिख रहा है। ग्वाटेमाला, मेक्सिको और ब्राजील में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।