नई दिल्ली, 12 अप्रैल। बैंकों से लोन लेकर उसे चुकाने में हीलाहवाली करने वाले ‘बड़े’ लोगों पर नरमी बरतने के मामले में उच्चतम न्यायालय ने भारतीय रिजर्व बैंक पर सवाल उठाए हैं। इस मामले में न्यायालय ने इंडियन बैंक एसोसिएशन और वित्त मंत्रालय को नोटिस भी जारी किया है।
एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोग सरकारी बैंकों से हजारों करोड़ रुपये लोन लेकर डिफाल्टर हो जाते हैं और कंपनियां बंद कर देते हैं और खुद दिवालिया घोषित कर देते हैं। लेकिन दूसरी ओर कई गरीब किसान हैं जो थोड़ा-सा पैसा उधार लेते हैं और उनकी संपत्ति जब्त कर ली जाती है।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने कहा कि रिजर्व बैंकों का नियामक भी है और उसे देखना होता है कि जनता का पैसा कहां जा रहा है। क्या आपके पास ऐसा कोई तरीका है कि आप बैंकों के गलत तरीके से लोन दिए जाने पर कार्रवाई हो सके। साथ ही कोर्ट ने लोन देने के तरीके पर भी सवाल उठाए।
उन्होंने कहा कि बैंक कैसे ऐसी संपत्ति को गिरवी रखे जाने पर कैसे लोन दे सकते हैं, जो पहले ही गिरवी रखी जा चुकी हो।
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन बैंक एसोसिएशन और वित्त मंत्रालय को नोटिस जारी कर पूछा- क्या आरबीआई को दी गई डिफाल्टर लिस्ट को सार्वजनिक किया जा सकता है, या नाम और राशि को गुप्त रखा जाना चाहिए। मामले की अगली सुनवाई 26 अप्रैल को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राशि वाले लोन की वापसी के तरीकों के बारे में भी पूछा।