लखनऊ। वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति और स्मॉग को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ और वाराणसी सहित 12 जिलों में आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिन शहरों में  प्रदूषण का स्तर खराब (एक्यूआई 200-300), बहुत खराब (एक्यूआई 300-400) और गंभीर (400 से ऊपर) है वहां पर ये प्रतिबंध लागू रहेंगे। इन जिलों में लोग दीपावली के दिन डिजिटल, लेजर आदि तकनीक का प्रयोग करके दिवाली मना सकते हैं। बरेली समेत अन्य जिलों में भी सिर्फ Green Crackers (हरित पटाखों) को अनुमति दी गई है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय हरित प्रधिकरण (एनजीटी) के निर्देश के बाद यह सख्त कदम उठाया है। प्रतिबंध के दायरे में आये जिलो में राजधानी लखनऊ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के अलावाकानपुर, मुजफ्फरनगर, आगरा, मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद, मुरादाबाद, गौतमबुद्धनगर, बागपत और बुलंदशहर शामिल हैं।

प्रदेश के 75 जिलों में से 12 में आतिशबाजी पर प्रतिबंध रहेगा जबकि अन्य जिलों में सिर्फ ग्रीन क्रेकर्स को अनुमति दी गई है। प्रदेश में पटाखे बैन का आदेश फिलहाल 30 नवंबर तक जारी रहेगा। 30 नवंबर के बाद प्रदूषण के स्तर के आधार पर सरकार समीक्षा के बाद फैसला लेगी।

Green Crackers
Green Crackers

मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी की ओर से मंगलवार को जारी आदेश में कहा गया है कि जिन जनपदों में एक्यूआई मॉडरेट या उससे बेहतर है वहां पर केवल ग्रीन क्रेकर्स ही बेचे जाएं। एनजीटी ने आदेश में कहा था कि देश के जिन राज्यों में एम्बिएंट एयर क्वालिटी (खराब) की श्रेणी में बनी हुई है, उन राज्यों और शहरों में भी 9  नवंबर की मध्य रात्रि से लेकर 30 नवंबर की मध्य रात्रि तक पटाखों के इस्तेमाल और बिक्री पर प्रतिबंध से जुड़ा एनजीटी का आदेश लागू होगा। जिन शहरों में एम्बिएंट एयर क्वालिटी मॉडरेट है, वहां सिर्फ ग्रीन पटाखे ही बेचे जा सकते हैं। 

उत्तर प्रदेश सरकार ने पुलिस को 30 नवंबर तक आदेश का सख्ती से पालन करवाने का निर्देश दिया है।

गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया कि लोगों को डिजिटल व लेजर तकनीक का प्रयोग करने के अलावा ग्रीन क्रैकर्स का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करने का निर्देश भी दिया गया है। उन्होंने सभी जिलों में आतिशबाजी की बिक्री व प्रयोग को लेकर दिए गए निर्देशों का पूरी सख्ती से अनुपालन कराने को कहा है। यह प्रतिबंध 9 नवंबर से प्रभावी माना जाएगा। 30 नवंबर के बाद आतिशबाजी की बिक्री और प्रयोग को लेकर वायु प्रदूषण की स्थिति के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।

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