लंदन। हैदराबाद के निजाम के खजाने से जुड़ा एक मुकदमा पाकिस्तान न केवल हार गया बल्कि अब उसे मुकदमे के खर्च के तौर पर 26 करोड़ रुपये भी भारत को देने होंगे। 70 साल पुराना यह मामला लंदन के नेशनल वेस्टमिंस्टर बैंक अकाउंट में 20 सितंबर 1948  से फंसे कई सौ करोड़ रुपयों का है। इसका फैसला आने पर ब्रिटेन में भारतीय दूतावास को 35 मिलियन पाउंड (325 करोड़) अपने हिस्से के तौर पर मिले हैं।

 हाई कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में भारत और हैदराबाद के 8वें निजाम मुकर्रम जाह के पक्ष में फैसला सुनाया था। मुकर्रम और उनके छोटे भाई मुफ्फखम जाह पाकिस्तान के खिलाफ लंदन हाई कोर्ट में पिछले 6 साल से यह मुकदमा लड़ रहे थे। बैंक ने पहले ही यह धनराशि कोर्ट को ट्रांसफर कर दी थी। अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान ने भी भारत सरकार को 2.8 मिलियन (करीब 26 करोड़ रुपये) चुकाए हैं। यह भारत द्वारा लंदन हाई कोर्ट में मुकदमा लड़ने पर खर्च की गई रकम का 65 प्रतिशत हिस्सा है। बाकी बची हई धनराशि जो भारत ने खुद भरी है, उस पर अभी बातचीत चल रही है। 8वें निजाम के वकील ने बताया कि उनके क्लाइंट को अपने हिस्से की रकम और मुकदमे को लड़ने में लगा 65 प्रतिशत  खर्च भी मिल गया है।

यह है मामला

70 साल पुराना यह विवाद 1 मिलियन पाउंड और 1 गिन्नी का है जो 20 सितंबर 1948 को हैदराबाद सरकार को तत्कालीन वित्त मंत्री मॉइन नवाज जंग ने भेजे थे। इसके बाद यह रकम हैदराबाद राज्य के तत्कालीन वित्त मंत्री ने ब्रिटेन में तत्कालीन पाकिस्तानी हाई कमिश्नर हबीब इब्राहिम रहीमटूला को ट्रांसफर कर दी। यह वाकया भारत सरकार द्वारा हैदाराबाद राज्य को अपने कब्जे में लेने के समय हुआ। तब से अब तक यह रकम बढ़कर 35 मिलियन पाउंड हो गई है। भारत ने इस धनराशि पर यह कहते हुए दावा किया कि 1965 में निजाम ने यह धनराशि भारत को दी थी।

 
error: Content is protected !!