नई दिल्ली। भारत और चीनी की सेनाओं के बीच पिछले हफ्ते पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद तनाव कम करने के उद्देश्य से सोमवार को दोनों देशों की सेनाओं के बीच लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की दूसरे दौर की वार्ता हुई। भारत ने चीन को दो टूक कह दिया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line Of Actual Control /LAC) में जैसी स्थिति 5 मई के पहले थी वैसी ही होनी चाहिए। यानी कि भारत की ओर से साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि चीन अपने नियंत्रण वाले क्षेत्र में वापस लौटे।

सूत्रों ने बताया कि नियंत्रण रेखा के पास मॉल्डो में हुई इस बैठक में दोनों पक्षों द्वारा 6 जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहले दौर की बातचीत में बनी सहमति को लागू करने समेत विश्वास बहाली के उपायों पर चर्चा हुई। गौरतलब है गलवान घाटी में पिछले हफ्ते हुई हिंसक झड़प में कर्नल समेत 20 भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे।

बातचीत में भारतीय पक्ष का नेतृत्व 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत सैन्य जिले के कमांडर ने किया। यह बैठक गलवान घाटी में 15 जून को हुए संघर्ष के बाद दोनों पक्षों में बढ़े तनाव की पृष्ठभूमि में हुई। यह बीते 45 सालों के दौरान सीमा पर हुआ सबसे गंभीर टकराव था।

भारत ने अपने सशस्त्र बलों को दे दी है “पूरी छूट”

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ टेलीफोन पर की गई बातचीत में इस झड़प को पीएलए की “पूर्वनियोजित” कार्रवाई बताया था। इस घटना के बाद सरकार ने चीन के साथ लगने वाली 3500 किलोमीटर लंबी सीमा पर चीन के किसी भी दुस्साहस का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सशस्त्र बलों को “पूरी छूट” दे दी है।

पांच मई से शुरू हुआ था विवाद

पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ गई थी जब करीब 250 चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच 5 और 6 मई को झड़प हुई। पैंगोंग सो में हुई घटना के बाद ऐसी ही एक झड़प 9 मई को उत्तरी सिक्किम में हुई। इन झड़पों से पहले दोनों पक्ष इस बात पर जोर देते रहे थे कि सीमा मामले का अंतिम समाधान होने तक सीमावर्ती क्षेत्र में शांति बनाए रखना जरूरी है।

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