नई दिल्ली। (e-commerce companies will have to tell the source of the product) चीन पर आर्थिक प्रहार करने में जुटी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने एक और अहम फैसला किया है। अब अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसीई-कॉमर्स कंपनियों के प्लेटफार्म पर बिकने वाले सामान पर यह बताना पड़ेगा कि यह सामान भारत में बना है या किसी और देश से आया है। यह निर्णय अगस्त से लागू होगा। ई-कॉमर्स कंपनियों को यह भी हिदायत दी गई है कि प्रोडक्ट पर सोर्स बताने से इन्कार करने वाले विक्रेताओं को सामान बेचने की इजाजत नहीं दी जाए। अभी कई सामान के पैकेट पर यह नहीं लिखा होता है कि वह कहां बना है।
बुधवार को इस मामले में ई-कॉमर्स कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालयों के अधिकारियों की बैठक हुई। करीब 15 दिन पहले भी इस मामले में ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ बैठक हुई थी।
डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड (डीपीआईआईटी/DPIIT) की तरफ से ई-कॉमर्स कंपनियों को जुलाई के आखिर तक प्रोडक्ट के सोर्स को प्रोडक्ट पर दर्शाना शुरू करने के लिए कहा गया है। हालांकि इस संबंध में डीपीआईआईटी की तरफ से कोई आधिकारिक निर्देश जारी नहीं किया गया है लेकिन चीन से आने वाले सामान को रोकने और मेक इन इंडिया के प्रोत्साहन के लिए विभाग जल्द से जल्द इस काम को शुरू कराना चाहता है।
सूत्रों के मुताबिक अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों ने सरकार के सामने यह दलील रखी कि उनके प्लेटफार्म पर 15 करोड़ से अधिक विक्रेता हैं और इतने कम समय में सभी विक्रेताओं द्वारा अपने प्रोडक्ट पर सोर्स को दर्शाना आसान नहीं होगा। ई-कॉमर्स कंपनियों ने कहा कि वे उन विक्रेताओं को टेक्नीकल सपोर्ट मुहैया करा सकती है, बाकी का काम विक्रेता का होगा। ऐसे में, पूरी जानकारी जुटाकर प्रोडक्ट पर सोर्स को लिखना या दर्शाने के काम को सुचारू होने में कम से कम दो-तीन महीने लग सकते हैं।
सोर्स के ओरिजन पता करने पर असमंजस बरकरार
प्रोडक्ट के सोर्स का मूल पता करने पर भी असमंजस बरकरार है। कई ऐसे प्रोडक्ट है जिनके कच्चे माल कई देशों से आते हैं और फिर उसे भारत में असेंबल किया जाता है। हालांकि बैठक में यह बात साफ हो गई कि भारत में असेंबल होने वाले प्रोडक्ट को मेक इन इंडिया की श्रेणी में रखा जाएगा। आयातित सामान पर पहले से ही सोर्स होता है।
सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान स्वदेशी या मेक इन इंडिया के लिए किसी प्रकार के रंग के इस्तेमाल की चर्चा नहीं की गई। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालयों की तरफ से ई-कॉमर्स कंपनियों को यह भी हिदायत दी गई कि प्रोडक्ट पर सोर्स बताने से इन्कार करने वाले विक्रेताओं को सामान बेचने की इजाजत नहीं दी जाए।