नए नियमों से फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर एक्सक्लूसिव डील, कैशबैक और बंपर डिस्काउंट जैसे ऑफर खत्म हो जाएंगे।
नई दिल्ली। देश में ऑनलाइन शॉपिंग कारोबारपूरी तरह बदलने जा रहा है। दरअसल, सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) वाली ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए नियमों को सख्त कर दिया है। नए नियमों से फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी ई-कॉमर्स वेबसाइट पर एक्सक्लूसिव डील, कैशबैक और बंपर डिस्काउंट जैसे ऑफर खत्म हो जाएंगे। जाहिर है कि इससे ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों के साथ ही और निजी प्रयोग की छोटी-छोटी चीजों के लिए भी ऑनलाइन शॉपिंग पर निर्भर रहने वालों को भी झटका लगेगा। माना जा रहा है कि सरकार ने अपने इस कदम से घरेलू कारोबारियों का गुस्सा शांत करने की कोशिश की है। छोटे कारोबारी इन कंपनियों के काम करने के तरीके की शिकायत करते रहे हैं।
नए नियम के अनुसार ई-कॉमर्स कंपनियों उन कंपनियों के उत्पाद (Product) नहीं बेच पाएंगी जिनमें उनकी हिस्सेदारी है। ऑनलाइन बाजार का परिचालन करने वाले कंपनियों पर उत्पादों की कीमत प्रभावित कर सकने वाले अनुबंधों पर भी रोक लगा दी गई है। इससे वे किसी इकाई के साथ उसके किसी प्रोडक्ट को केवल व केवल अपने प्लेटफॉर्म पर बेचने का अनुबंध नहीं कर सकेंगी।
नई नीति एक फरवरी से होगी लागू
वाणिज्य़
मंत्रालय ने ऑनलाइन रिटेल बिजनेस में एफडीआई के बारे में संशोधित नीति में कहा कि
इन कंपनियों को अपने सभी वेंडरों को बिना कसी भेदभाव के समान सेवाएं एवं सुविधाएं
उपलब्ध करानी होंगी। इस प्रवधान का लक्ष्य घरेलू कंपनियों को उन ई-कंपनियों से
बचाना है जिनके पास एफडीआई के जरिये बड़ी पूंजी उपलब्ध है। संशोधित नीति एक फरवरी 2019 से प्रभावी होगी। एक वरिष्ठ
अधिकारी ने कहा, ‘इस कदम से
ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा कीमतों को प्रभावित करने पर पूरी तरह से लगाम लगेगी।
इससे ई-कॉमर्स कंपनियों के मामले में एफडीआई दिशानिर्देशों का बेहतर क्रियान्वयन
भी सुनिश्चित होगा।’
सख्त नियम रोकेंगे मनमानी
अधिसूचना में यह भी कहा गया कि इन कंपनियों को हर साल 30 सितंबर तक पिछले वित्त वर्ष के लिए दिशानिर्देशों के अनुपालन की पुष्टि को लेकर विधिवत नियुक्त अपने लेखा-परीक्षक की रिपोर्ट के साथ एक प्रमाण-पत्र भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पास जमा कराना होगा। नए नियम के अनुसार कोई भी वेंडर अधिकतम 25 फीसद उत्पादों को ही किसी एक ऑनलाइन मार्केट प्लेस के जरिये बेच सकेगा। यदि किसी वेंडर के 25 फीसद से अधिक उत्पादों को किसी एक ई-कॉमर्स कंपनी या उसके समूह की कंपनी द्वारा खरीदा जाता है तो उक्त वेंडर के इंवेंटरी को संबंधित ई-कॉमर्स कंपनी द्वारा नियंत्रित माना जाएग।’
वाणिज्य मत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘ऐसी कोई भी इकाई जिसके ऊपर ई-कॉमर्स कंपनी या उसके समूह की किसी कंपनी का नियंत्रण हो या उनके भंडार में ई-कामर्स कंपनी या उसके समूह की किसी कंपनी की हिस्सेदारी हो तो वह इकाई संबंधित ऑनलाइन मार्केटप्लेस (मंच) के जरिये अपने उत्पादों की बिक्री नहीं कर सकेगी।’
इन्होंने ये कहा
एक ई-कॉमर्स कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस बदलाव से निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। अमेजन इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम परिपत्र का मूल्यांकन कर रहे हैं।’ स्नैपडील के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कुनाल बहल ने संशोधित नीति का स्वागत करते हुए ट्वीट किया- ‘मार्केटप्लेस ईमानदार एवं स्वतंत्र विक्रेताओं के लिए है जिनमें से अधिकांश एमएसएमई हैं। ये बदलाव सभी विक्रेताओं को बराबर मौके देंगे और उन्हें ई-कॉमर्स की पहुंच का फायदा उठाने में मदद मिलेगी।’
खुदरा कारोबारियों के संगठन कैट ने कहा कि यदि इन बदलावों का ईमानदारी से क्रियान्वयन किया गया तो कुप्रथाएं और कीमतों को प्रभावित करने वाले कदम तथा ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा दी जाने वाली अतिरिक्त छूट आदि इतिहास की चीजें हो जाएंगी। संगठन ने ई-कॉमर्स नीति लाने तथा इस क्षेत्र पर निगरानी के लिए ट्राई और सेबी की तरह एक नियामक बनाने की भी मांग की है।