नई दिल्ली। पद्म विभूषण से सम्मानित महान शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का अमेरिका में दिल का दौरा पड़ने से सोमवार (17 अगस्त 2020) की सुबह निधन हो गया। कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन के बाद से वह न्यूजर्सी में ही थे। उन्होंने सोमवार सुबह आखिरी सांस ली। उनकी बेटी दुर्गा जसराज ने यह जानकारी दी। संगीत के मशहूर मेवाती घराने से ताल्लुक रखने वाले पंडित जसराज ने अधिकतर शास्त्रीय गायन किया और सिर्फ़ 4 फ़िल्मों को अपने सुरों से सजाया।
दुर्गा ने फोन पर कहा, ”बापूजी नहीं रहे। इसके अलावा वह कुछ नहीं बोल सकी।” उनके परिवार में दुर्गा के अलावा पत्नी मधुरा और संगीतकार पुत्र शारंग देव हैं। मधुरा सुप्रसिद्ध फिल्मकार वी शांताराम की बेटी हैं। पंडित जसराज के परिवार ने एक बयान में कहा, ”बहुत दुख के साथ हमें सूचित करना पड़ रहा है कि संगीत मार्तंड पंडित जसराज जी का अमेरिका के न्यूजर्सी में अपने आवास पर आज सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।”
उन्होंने कहा, ”हम प्रार्थना करते हैं कि भगवान कृष्ण स्वर्ग के द्वार पर उनका स्वागत करें जहां वह अपना पसंदीदा भजन ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ उन्हें समर्पित करें। हम उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “आपकी प्रार्थनाओं के लिए धन्यवाद। बापूजी जय हो।”
अपने आठ दशक से अधिक के संगीतमय सफर में पंडित जसराज को पद्म विभूषण (2000), पद्म भूषण (1990) और पद्मश्री (1975) जैसे सम्मान मिले। पिछले साल सितंबर में सौरमंडल में एक ग्रह का नाम उनके नाम पर रखा गया था और यह सम्मान पाने वाले वह पहले भारतीय कलाकार बने थे। इंटरनेशनल एस्ट्रोनामिकल यूनियन :आईएयू: ने ‘माइनर प्लेनेट’ 2006 वीपी 32 :नंबर 300128: का नामकरण पंडित जसराज के नाम पर किया था जिसकी खोज 11 नवंबर 2006 को की गई थी।
इस साल जनवरी में अपना 90वां जन्मदिन मनाने वाले पंडित जसराज ने 9 अप्रैल को हनुमान जयंती पर फेसबुक लाइव के जरिए वाराणसी के संकटमोचन हनुमान मंदिर के लिए दी थी। इसके अलावा उन्होंने अपनी बेटी और प्रोड्यूसर दुर्गा की संगीतमय वेब सीरिज उत्साह में भी भाग लिया था जो लॉकडाउन के दौरान सोशल मीडिया पर आयोजित की जा रही है।
दुनियाभर में फैलाया शास्त्रीय संगीत का जादू
मेवाती घराने से ताल्लुक रखने वाले पंडित जसराज ने न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर को शास्त्रीय संगीत के सुरों में पिरोया था। वह अमेरिका और कनाडा में भी संगीत शिक्षा देते थे। ‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय’ हो या ‘ओम नम: शिवाय’, पंडित जी की आवाज और शास्त्रीय गायन अपने-आप में प्रार्थना का रिवाज बन चुका था। शास्त्रीय संगीत से अपने जुड़ने के लिए बेगम अख्तर को श्रेय देने वाले पंडित जसराज ने 14 साल की उम्र में गायन शुरू किया था।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने जताया शोक
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शास्त्रीय गायक पंडित जसराज के निधन पर सोमवार को गहरा शोक व्यक्त किया। कोविंद ने ट्वीट करके कहा, “संगीत विभूति एवं अद्वितीय शास्त्रीय गायक पंडित जसराज के निधन से दुख हुआ। पद्म विभूषण से सम्मानित पंडितजी ने आठ दशकों की अपनी संगीत यात्रा में लोगों को भावपूर्ण प्रस्तुतियों से आनंद विभोर किया।” उन्होंने कहा, “उनके परिवार, मित्रगण एवं संगीत-पारखी लोगों के प्रति मेरी शोक संवेदनाएं!”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शोकाकुल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महान शास्त्रीय गायक पंडित जसराज ने निधन पर शोक प्रकट करते हुए सोमवार को कहा कि उनके देहावसान से भारतीय शास्त्रीय विधा में एक बड़ी रिक्तता पैदा हो गई है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ”पंडित जसराज जी के दुर्भाग्यपूर्ण निधन से भारतीय शास्त्रीय विधा में एक बड़ी रिक्तता पैदा हो गई है। न केवल उनका संगीत अप्रतिम था बल्कि उन्होंने कई अन्य शास्त्रीय गायकों के लिए अनोखे मार्गदर्शक के रूप में एक छाप छोड़ी। उनके परिवार और समस्त विश्व में उनके प्रशंसकों के प्रति संवेदना। ओम शांति।”
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ट्वीट किया, ”संगीत मार्तंड पंडित जसराज जी अतुल्य कलाकार थे जिन्होंने अपनी जादुई आवाज से भारतीय शास्त्रीय संगीत को समृद्ध किया। उनका निधन निजी क्षति की तरह है। वह अपनी आवाज से हमारे दिलों में हमेशा रहेंगे ।उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।”