नई दिल्ली। योग गुरु बाबा रामदेव ने कोरोना की नई दवा कोरोनिल लॉन्च की है। शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में एक कार्यक्रम के दौरान रामदेव ने यह ऐलान किया। नई दवा की घोषणा पर पतंजलि योगपीठ का दावा है कि कोरोना के उपचार में काम आने वाली दवा अब सबूत के साथ पेश की गई है। आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल टैबलेट को कोरोना की दवा के तौर पर स्वीकार कर लिया है। पतंजलि का कहना है कि नई कोरोनिल दवा CoPP-WHO GMP सर्टिफाइड है। इस मौके पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद थे।
पतंजलि ने जो नई दवाएं लॉन्च की हैं, उनमें कोरोनिल और श्वासारी के अलावा पीड़ानिल, आर्थोग्रिट, मधुनाशिनी और मधुग्रिट, मुक्तावटी, थायरोग्रिट, प्रोस्टोग्रिट, इम्यूनोग्रिट, सिस्टोग्रिट आदि प्रमुख हैं। कोरोना वैक्सीन को लेकर पतंजलि के रिसर्च पेपर का विमोचन करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि पतंजलि और केंद्र सरकार का एक ही सपना है कि नई तकनीक के आधार पर आयुर्वेद को स्थापित किया जा सके।
आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल टैबलेट को कोरोना की दवा के तौर पर स्वीकार कर लिया है। पतंजलि का कहना है कि नई कोरोनिल दवा सीओ-पी-डब्ल्यूइको-जीएमपी सर्टिफाइड है। रामदेव ने कहा, “अब सारे सर्टिफिकेशन के साथ हमारे पास 250 से अधिक रिसर्च पेपर है। अकेले कोरोना के ऊपर 25 रिसर्च पेपर है। अब कोई दुनिया में सवाल नहीं उठा सकता।”
बाबा रामदेव ने कहा कि कोरोना की इस दवा के लिए जितने भी पैरामीटर्स होते हैं, सभी का पालन किया गया है। उन्होंने कहा, “कोरोनिल पर बहुत लोगों ने सवाल उठाए थे, लोग शक की निगाह से देखते हैं, अब सबको उनके सवालों का जवाब मिल जाएगा।” डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि दुनिया के कई देशों ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड , कोलंबिया, मॉरिशस, बांग्लादेश, श्रीलंका और चीन ने भारत के आयुर्वेद को अपने नियमित मेडिसिन सिस्टम में लागू किया है। उन्होंने कहा, “आयुर्वेद की डिग्री लेकर डॉक्टर इन देशों में जाकर प्रैक्टिस कर सकता है। आयुर्वेद के बारे में वेदों से लेकर सभी स्थानों पर जानकारियां उपलब्ध है।” उन्होंने कहा कि साल 2014 में जब उन्हें थोड़े समय के लिए स्वास्थ्य मंत्री बनने का मौका मिला था तब पीएम मोदी ने 2014 में आयुष मंत्रालय की स्थापना की थी। आयुर्वेद के संदर्भ में बाबा रामदेव का जो सपना है, वही हमारा सपना भी है।