प्रयागराज। फर्जी मार्कशीट के सहारे नौकरी पाने वाले 812 वाले सहायक अध्यापकों की सेवा समाप्त करने के उत्तर प्रदेश सरकार के निर्णय को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सही करार दिया है। हालांकि ऐसे अभ्यर्थी जिनकी मार्कशीट में छेड़छाड़ किए जाने की शिकायत थी, उनके संबंध में निर्णय लेने का संबंधित विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सहायक शिक्षकों की विशेष अपील खारिज कर दी।

गौरतलब है कि राज्य सरकार ने बीएड डिग्री को फर्जी करार देते हुए 812 शिक्षकों की सेवा समाप्त कर भुगतान किए गए वेतन की वसूली शुरू कर दी थी। इसके खिलाफ ये शिक्षक हाईकोर्ट पहुंच गए। एकल पीठ ने सरकार के निर्णय को सही करार दिया। इसे विशेष अपील में चुनौती दी गई। न्यायमूर्ति एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने विशेष अपील पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया। खंडपीठ ने सहायक अध्यपको से भुगतान किए गए वेतन की वसूली के आदेश को खंडपीठ ने रद्द कर दिया है।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट के एकल जज ने एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर इन शिक्षकों की बीएसए द्वारा की गई बर्खास्तगी को मंजूरी दे दी थी। एकल जज के इस आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी गई थी। कहा गया था कि बीएसए का बर्खास्तगी आदेश एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर पारित किया गया है, जो गलत है। यह भी दलील दी गई कि पुलिस रिपोर्ट को शिक्षकों की बर्खास्तगी का आधार नहीं बनाया जा सकता है। कहा गया था कि बीएसए ने बर्खास्तगी से पूर्व सेवा नियमावली के कानून का पालन नहीं किया। दूसरी तरफ सरकार की तरफ से कहा गया कि इन शिक्षकों की बर्खास्तगी एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर की गई है। यह भी तर्क दिया गया कि फर्जी डिग्री या मार्कशीट के आधार पर सेवा में आने वाले की बर्खास्तगी के लिए सेवा नियमों का पालन करना जरूरी नहीं है। 

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