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मामल्लपुरम (महाबलीपुरम)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच शुक्रवार को तमिलनाडु के ऐतिहासिक शहर मामल्लपुरम यानी महाबलीपुरम में मुलाकात हुई। दोनों के बीच कुछ वर्षों में जिन स्थानों पर द्विपक्षीय मुलाकात हुई हैं, वे प्रसिद्ध सांस्कृतिक स्थल रहे हैं और जिनका चीन और भारत में हजारों साल पुराना जुड़ाव रहा है। इस बार महाबलीपुरम को इस मुलाकात के लिए चुना गया। यहां जानें इस ऐतिहासिक शहर के बारे में 10 खास बातें- 

1. तमिलनाडु से करीब 50 किलोमीटर दूर पुरातनकालीन तटीय शहर महाबलीपुरम (मामल्लापुरम) में   पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच शिखर वार्ता हुई। यह शहर चीन के फुजियान प्रांत के साथ मजबूत व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों के कारण अहम है।

2. 1985 में मामल्लपुरम विश्व सांस्कृतिक धरोहर घोषित हुआ था। 

4. मामल्लपुरम को नरसिंह देव ने बसाया 
महाबलीपुरम की स्थापना पल्लव राजा नरसिंह देव वर्मन ने की थी। नरसिंह देव को मामल्ल भी कहा जाता था, इसलिए शहर को मामल्लपुरम कहा जाता है। 

5. अर्जुन की तपोस्थली
मामल्लपुरम में पांच रथों और अर्जुन की तपस्या स्थल और प्राचीन गुफाओं के लिए जाना जाता है।

6. चीन संग व्यापार 
मामल्लपुरम शहर 7वीं सदी में पल्लवों के शासन के दौरान महत्वपूर्ण बंदरगाह था। 

7. बोधिधर्मा जिन्होंने चीन में बौद्ध धर्म का प्रसार किया था। वे भी मामल्लपुरम शहर से यात्रा शुरू कर चीन के गुआंगदोंग प्रांत पहुंचे थे।

8. झाऊ एन लाई भी यहां आए 
दिसंबर 1956 में चीन के तत्कालीन राष्ट्रपति झाऊ एन कलपंथनमंडलम आए थे, जो महाबलीपुरम से कुछ किलोमीटर दूर ही है, जहां उन्होंने प्रसव केंद्र का उद्घाटन किया था।

9. यहां आपको पल्लव वंश के शासन के दौरान बनी कलाकृतियां, गुफाएं और मंदिर, मूर्तियां दिखाई देंगी।

10. यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल ऐतिहासिक स्मारकों का समूह महाबलीपुरम कोरोमंडल तट के साथ साथ 7वीं और 8वीं आठवीं शताब्दी में स्थापित किया गया था। इसमें आपको 7वीं और 8वीं शताब्दी के दौरान की कला के बारे में पता चलेगा। 

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