वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि उनकी सरकार ने व्यापार में चीन के अनुचित व्यवहार को समाप्त कराने के लिए ’अब तक के सबसे कड़े कदम उठाये हैं। ट्रम्प इस साल जून से अपने यहां चीन से आने वाले माल पर धीर-धीरे आयात शुल्क बढ़ा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने शुक्रवार को ओहियो में एक चुनावी रैली में कहा, “चीन की अनुचित व्यापारिक गतिविधियों को रोकने के लिए हमने अब तक के सबसे कड़ कदम उठाए हैं।” श्रोताओं ने उनकी इस बात पर खुशी प्रकट की।
ट्रम्प ने अपनी चीन नीति को अपने प्रशासन की सबसे बड़ी उपलब्धियों के रूप में गिनाया। कहा कि इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने एवं रोजगार के सृजन में मदद मिली है।
चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार में अमेरिका का आयात उसके निर्यात से 500 अरब डालर के बरारब कम है। ट्रंप का कहना है कि इस तरह का व्यापार लंबे समय तक नहीं टिक सकता।उन्होंने चीन से आयात किए जाने वाले 250 अरब डालर के माल पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त आयात शुल्क लगा दिया है। साथ ही अमेरिका ने चीन से परमाणु प्रौद्योगिकी के व्यापार पर भी कई अंकुश लगा दिए हैं।
…अब भारत के निकट आना चाहता है चीन
चीनी दूतावास ने बीते बुधवार को कहा था कि चीन और भारत को व्यापार संरक्षणवाद से मुकाबले के लिए अपना सहयोग मजबूत करने की जरूरत है। चीन ने अमेरिका पर एकतरफा पहल के जरिये व्यापार विवाद भड़काने का आरोप लगाया। दूतावास के प्रवक्ता, जी रोंग ने कहा था, ‘दो बड़े विकासशील देश और बड़े उभरते बाजार होने के नाते, चीन और भारत दोनों सुधार और अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण चरण में हैं।’
जी अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध से संबंधित मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रीय सुरक्षा और ‘मुक्त व्यापार’ के नाम पर एकतरफा व्यापार संरक्षणवाद को बढ़ावा देने से न केवल चीन का आर्थिक विकास प्रभावित होगा, बल्कि यह भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था में भी अड़चन पैदा करेगा।’ कहा, ‘चीन और भारत बहुध्रुवीय व्यापार प्रणाली और मुक्त व्यापार की रक्षा के लिए समान हित साझा करते हैं।’
वाशिंगटन और बीजिंग के बीच सितम्बर में व्यापार युद्ध में तेजी देखी गई थी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से होने वाले आयातों पर 200 अरब डॉलर टैरिफ लगाया था। इसके जवाब में बीजिंग ने भी अमेरिकी आयात पर 60 अरब डॉलर का टैरिफ लगाया था। जी ने कहा, ‘मौजूदा परिस्थितियों के अंतर्गत, चीन और भारत को व्यापार संरक्षणवाद के विरुद्ध मुकाबले के लिए सहयोग बढ़ाने की जरूरत है।’