मुरादाबाद। पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद को दिव्यांद उपकरण मामले में अदालत से राहत नहीं मिल सकी। लुईस खुर्शीद पर दिव्यांगों को उपकरण बांटने में गड़बड़ी का आरोप है। शुक्रवार को अदालत में फाउंडेशन से जुड़े ट्रस्ट के मैनेजर और लुईस की ओर से जमानत के लिए अर्जी दाखिल की गई थी जिसे अपर जिला जज ने शनिवार को खारिज कर दिया।

यह मामला 2009 का है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से डॉ. जाकिर अली मेमोरियल ट्रस्ट को 71 लाख रुपये के उपकरण दिव्यांगों को बांटने के लिए दिए गए थे। संस्था को मुरादाबाद में भी कैंप लगाकर दिव्यांगों को ट्राईसाइकिल आदि बांटने के लिए ढाई लाख रुपये मिले थे। आरोप है कि संस्था ने ये उपकरण नहीं बांटे और सरकार से मिली रकम हड़प ली। इस मामले में रिपोर्ट दर्ज हुई पर पूरा मामला वर्ष 2017 के बाद सामने आया।

शुक्रवार को लुईस खुर्शीद और संस्था के मैनेजर फारूकी की ओर से राहत के लिए जग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की गई। ये अर्जी जिला जज शशिकांत शुक्ला कोर्ट में दी गई पर उनकी उनकी अदालत ने एडीजे (पांच)अनिल कुमार की अदालत में ट्रांसफर कर दी। स्थानीय अधिवक्ता इमरान आदि ने तर्क दिए पर अदालत ने अग्रिम जमानत देने से इन्कार कर दिया। इमरान का कहना था कि तब मुरादाबाद में उपकरण बांटे गए थे जिसे जिला विकलांग अधिकारी भी मानते हैं।  दिव्यांगों को उपकरण के बांटने में दर्ज एफआईआर में लुईस खुर्शीद का नाम नहीं था, बाद में तफ्तीश में उनका नाम जोड़ा गया।

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