नई दिल्ली। बुद्धिजीवियों के एक समूह ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल एंड एकेडेमीज (जीआईए) द्वारा तैयार की गई तथ्यान्वेषी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा “सुनियोजित साजिश” थी और इसे “अन्य स्थानों पर दोहराए जाने की भी कोशिश” है। ये हिंसा एक शहरी नक्सल-जिहादी नेटवर्क का सबूत था जिसने दंगों की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया। 

जीआईए वर्ष 2015 में बनाया गया एक ऐसा समूह है  जिसमें पेशेवर महिलाओं, उद्यमियों, मीडिया के लोगों और सामाजिक न्याय एवं राष्ट्र-निर्माण के लिए प्रतिबद्ध शिक्षाविद शामिल हैं।

जीआईए ने अपनी रिपोर्ट “दिल्ली रॉयट्स, 2020 – रिपोर्ट फ्रॉम ग्राउंड जीरो” में इस हिंसा की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जांच कराए जाने की बात भी कही है। इस रिपोर्ट में पीड़ितों के पुनर्वास की सिफारिश करने के साथ ही केन्द्र सरकार से लोगों में विश्वास बहाली के कदम उठाने का भी आग्रह किया गया है। 

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि “क्रांति के वामपंथी-जिहादी मॉडल” के सबूत मिले हैं, जिन्हें दिल्ली में अंजाम दिया गया है और इसे अन्य स्थानों पर दोहराए जाने की भी कोशिश है।” रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली हिंसा नरसंहार नहीं था। यह दिल्ली के विश्वविद्यालयों में काम कर रहे वामपंथी अर्बन नक्सल नेटवर्क द्वारा अल्पसंख्यकों के सुनियोजित और व्यवस्थित कट्टरपंथी विचारधारा का एक दुखद परिणाम है। इससे दोनों समुदायों को बहुत नुकसान हुआ है। धरना स्थलों पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) जैसे जिहादी संगठनों की मौजूदगी देखी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएसआईएस इस प्रकार की क्रूर हत्याएं करता है, लिहाजा इस हिंसा का संबंध राष्ट्रीय सीमा के पार से भी हो सकता है। इसके अलावा हर गली में यह कहा गया कि दंगाई बाहरी थे। रिपोर्ट में कहा है, “हम दृढ़ता से सिफारिश करते हैं कि हिंसा की तीव्रता को देखते हुए इसकी एनआईए को सौंप दी जानी चाहिए। दिल्ली में 15 दिसंबर 2019 से अब तक हुई सभी घटनाओं की जांच होनी चाहिए।” 

रिपोर्ट में कहा गया है कि मुसलमानों की कट्टरपंथी सोच के कारण भी हिंसा हुई। इसमें कहा गया, “सभी धरना स्थलों पर महिलाओं को सबसे आगे रखा गया जबकि पुरुषों ने इस ढाल के पीछे से काम किया।”

जीआईए के सदस्यों में एडवोकेट मोनिका अरोड़ा, दिल्ली विश्वविद्यालय की सहायक प्रोफेसर प्रेरणा मल्होत्रा (रामलाल आनंद कॉलेज), सोनाली चितलकर (मिरांडा हाउस), श्रुति मिश्रा (पीजी डीएवी कॉलेज-ईवनिंग), दिव्यांशा शमार् (इंस्टीट्यूट ऑफ होम इकोनॉमिक्स) आदि शामिल हैं।

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