sahara-chief-subrata-royनई दिल्ली। सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय सहारा को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत राय सहारा का परोल बढ़ाने से इंकार करते हुए उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा प्रमुख सुब्रत राय की परोल रद्द की और उन्हें हिरासत में लिए जाने का निर्देश दिया।

सहारा की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता ने जब मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि उन्हें भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा संपत्ति की बिक्री प्रक्रिया में शामिल नहीं किया गया है तो न्यायाधीश काफी नाराज हो गये पीठ ने कहा, ‘अगर आप चाहते हैं कि आपकी बातें सुनी जाए, पहले आप जेल जाइये। हमें यह मत बताइये कि हमें क्या करना है। सभी अंतरिम व्यवस्था रद्द की जाती है। सभी को हिरासत में लिये जाने का निर्देश दिया जाता है।’ पीठ में न्यायाधीश ए आर दवे और न्यायाधीश ए के सिकरी भी शामिल हैं।

धवन ने कहा कि यह कहना उचित नहीं है कि उन्हें फिर से जेल भेजा जाना चाहिए। ‘हमने पिछले निर्देश के मुताबिक 352 करोड़ रुपये पहले ही जमा कर दिए हैं जो 52 करोड़ रुपये अतिरिक्त है। यह उपयुक्त नहीं है।’ सेबी की तरफ से पेश अधिवक्ता ने बताया कि 58 संपत्तियों को नीलामी के लिये रखा गया और उनमें से आठ को 137 करोड़ रुपये में बेचा गया। उन्होंने यह भी कहा कि संपत्ति में पांच को अस्थायी रूप से कुर्क किया गया था। उन्होंने कहा कि सहारा ने उन्हें संपत्ति की जो सूची सौंपी है, उसमें वह भी संपत्तियां भी हैं जो पहले ही कुर्क की जा चुकी है।

इस पर पीठ ने सहारा के अधिवक्ता से कहा, ‘आपने उन संपत्तियों की सूची दी है जो पहले से ही कुर्क है। आप सहयोग नहीं कर रहे। यह बेहतर होगा कि आप जेल जायें।’ पीठ ने सहारा प्रमुख को जमानत जारी रखने के लिये 300 करोड़ रुपये जमा करने को कहा। न्यायालय के इस रूख के बाद धवन ने अनुरोध किया कि मामले पर आगे की सुनवाई के लिये 30 सितंबर की तारीख रखी जाए, उस दिन वह इस पर अपना पक्ष रखेंगे। जैसे ही पीठ ने राय और सहारा के दो अन्य निदेशकों अशोक राय चौधरी और रवि शंकर दुबे को हिरासत में लेने का निर्देश दिया, सहारा ने अपने अधिवक्ता को केस से हटा लिया और पीठ से माफी मांगी।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कुछ लोग अदालत की मर्यादा के साथ खेलते हैं और कुछ वकील हैं जो अदालत के प्रति सम्मान नहीं रखते। न्यायालय ने गत 16 सितंबर को सहारा प्रमुख के पैरोल की अवधि आज तक के लिये बढ़ा दी थी। राय की मां के निधन के बाद उन्हें मई में पैरोल पर रिहा किया गया था। बाद में पैरोल जारी रहा ताकि वह निवेशकों का पैसा लौटाने के लिये राशि जुटा सके।

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