भोपाल। केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे का 19 मई शुक्रवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार होशंगाबाद जिले के बांद्राभान में नर्मदा नदी के तट पर किया गया।  दवे की चिता को मुखाग्नि उनके भाई एवं भतीजे ने दी। इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने उन्हें नम आंखों से विदाई दी।भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि जिस स्थान पर उनका अंतिम संस्कार किया गया, वह स्थान उन्हें बहुत प्रिय था। वह वहीं पर नदियों के संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से अमूमन अंतरराष्ट्रीय नदी महोत्सव किया करते थे।
इस दौरान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्रिगण उमा भारती, नरेन्द्र सिंह तोमर, हर्ष वर्धन, अनंत कुमार एवं थवरचंद गहलोत, आरएसएस के वरिष्ठ नेतागण भैयाजी जोशी, दत्तात्रेय होसबोले एवं सुरेश सोनी, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय मौजूद थे।  इससे पहले दवे का पार्थिव शरीर भोपाल के शिवाजी नगर स्थित उनके निवास ‘नदी का घर’ से आज (शुक्रवार, 19 मई) सुबह बांद्राभान ले जाया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री चौहान एवं भाजपा के अन्य नेताओं ने उनकी अर्थी को कंधा दिया।

इस अवसर पर दिवंगत नेता को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। दिवंगत नेता के सम्मान में मध्यप्रदेश सरकार ने 18 और 19 मई को दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री दवे का कल सुबह दिल्ली के एम्स में निधन हो गया था।   वह 60 वर्ष के थे.
मध्यप्रदेश से दो बार राज्यसभा सदस्य रहे दवे के निधन का समाचार मिलने के बाद उनके भोपाल स्थित आवास ‘नदी का घर’ में शोक की लहर छा गई थी। जैसे ही उनके निधन की खबर मिली, उनके समर्थक उनके आवास ‘नदी का घर’ में कल इकट्ठा होना शुरू हो गये थे।   इस घर की स्थापना दवे ने मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी नदी नर्मदा के संरक्षण के लिए बनाये गये ‘नर्मदा समग्र’ नामक गैर सरकारी संगठन को चलाने के लिए की थी।

मध्यप्रदेश के उज्जैन जिला स्थित बड़नगर में छह जुलाई 1956 को जन्मे दवे जब भी भोपाल के दौरे पर आते थे, अमूमन इसी घर में ठहरा करते थे। यह घर नर्मदा के संरक्षण एवं चुनाव लड़ने के लिए कुशल रणनीति तैयार करने का भाजपा का मुख्य केन्द्र बन गया था।

लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे दवे कुशल रणनीतिकार थे। वह वर्ष 2003 में तब सुखिर्यों में आए जब उनकी कुशल रणनीति के तहत भाजपा ने मध्यप्रदेश में 10 साल से सत्ता पर काबिज रहने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में बेदखल कर दिया था। उनकी इस कुशल रणनीति से प्रभावित होकर इसके बाद मुख्यमंत्री बनी उमा भारती ने दवे को अपना सलाहकार बनाया था।

दवे ने 23 जुलाई 2012 को लिखे अपने वसीयतनामे में लिखा था, ‘‘जो मेरी स्मृति में कुछ करना चाहते हैं, वे कृपया पौधे लगाने और उन्हें संरक्षित कर बड़ा करने का कार्य करेंगे, तो मुझे आनंद होगा। वैसे ही नदी-जलाशयों के संरक्षण में अपनी सामथ्र्य अनुसार अधिकतम प्रयत्न भी किये जा सकते हैं। मेरी स्मृति में कोई भी स्मारक, प्रतियोगिता, पुरस्कार, प्रतिमा इत्यादि जैसे विषय कोई भी न चलाएं। ’’ इसके आगे दवे ने अपने वसीयतनामे में लिखा था, ‘‘समय हो तो मेरा दाह संस्कार होशंगाबाद स्थित बांद्राभान में नदी महोत्सव वाले स्थान पर किया जाये।  ’’

error: Content is protected !!