जिनेवा।संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख जैद राद अल हुसैन ने सोमवार (11 सितंबर) को रोहिंग्या शरणार्थियों को लेकर पांच सितंबर को गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू के बयान को लेकर चिंता व्यक्त की हैं । संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भारत में करीब 40,000 रोहिंग्या हैं और इनमें 16,000 लोगों को शरणार्थी के दस्तावेज मिले हैं।बता दें कि बीते पांच सितंबर को गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू ने कहा था कि रोहिंग्या अवैध प्रवासी हैं और उनको वापस भेजा जाएगा।उन्होंने यह भी कहा था कि किसी को भारत को इस मामले में प्रवचन देने की जरूरत नही है क्योंकि भारत ने सबसे ज्यादा शरणार्थियों को शरण दी है।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख जैद राद अल हुसैन ने सोमवार (11 सितंबर) को को रोहिंग्या समुदाय के लोगों को वापस भेजने के भारत के किसी भी प्रयास की सोमवार (11 सितंबर) को निंदा की।संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सत्र की शुरुआत के मौके पर जैद ने पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या का भी हवाला देते हुए कहा कि गौरी ‘सांप्रदायिकता और नफरत के असर को लेकर बोलती थीं।’’

जैद ने कहा, ‘‘मैं रोहिंग्या लोगों को उस समय वापस भेजने को लेकर भारत में उठाए जा रहे मौजूदा कदमों की निंदा करता हूं जब उनके देश में उनके खिलाफ हिंसा हो रही है।’’ उनके अनुसार रिजीजू ने कथित तौर पर यह बयान दिया कि भारत ने शरणार्थी संधि पर हस्ताक्षर नहीं किया है इसलिए वह इस मामले में अंतरराष्ट्रीय कानून से बाध्य नही है।’ म्यांमार में हिंसा के कारण 25 अगस्त से 300,000 रोहिंग्या मुसलमान भागकर बांग्लादेश में दाखिल हो चुके हैं। भारत में कथित गोरक्षकों की हिंसा के संदर्भ में जैद ने कहा, ‘‘गाय की रक्षा के नाम पर लोगों के खिलाफ भीड़ के हमले चिंताजनक हैं. मौलिक अधिकारों के लिए बोलने वालों को भी धमकी दी जा रही है।’’

शरणार्थियों की वापसी के मुद्दे पर म्यांमार पर दबाव बढ़ाते हुए बांग्लादेश ने रोहिंग्या मुद्दे से निपटने के लिए भारत से मदद की मांग की।संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक म्यांमार के उत्तरी राखिन प्रांत में पुलिस चौकियों पर उग्रवादियों के हमले के बाद हिंसा भड़कने पर 25 अगस्त के बाद से तकरीबन 300000 रोहिंग्या मुसलमान प्रांत छोड़कर बांग्लादेश चले आये।रोहिंग्या मुसलमानों का आरोप है कि सेना और राखिन के बौद्धों ने उनके खिलाफ नृशंस अभियान चलाया है।हालांकि, म्यांमार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उसकी सेना रोहिंग्या ‘‘आतंकवादियों’’ के खिलाफ लड़ रही है।

सत्तारूढ़ अवामी लीग के महासचिव और बांग्लादेश के वरिष्ठ मंत्री ओबैदुल कादर ने रविवार (10 सितंबर) को कहा, ‘‘समूचा विश्व आज रोहिंग्या मुद्दे पर चिंतित है और भारत ने भी अपनी चिंता प्रकट की है …इस पल उनकी (भारत की) चिंता और रूख हमारे साथ है।’’ कादर ने बांग्लादेश के 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान भारत द्वारा निर्णयकारी समर्थन का जिक्र किया और कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि भारत इस मानवीय संकट के समय भी बांग्लादेश का समर्थन करेगा।’’ गुरुवार (7 सितंबर) को म्यांमार का तीन दिवसीय दौरा पूरा करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राखिन प्रांत में ‘‘अतिवादी हिंसा’’ के खिलाफ वहां सरकार के साथ एकजुटता प्रकट की थी।मोदी ने देश की एकता का सम्मान करते हुए सभी पक्षों से कोई समाधान निकालने का अनुरोध किया था। बांग्लादेश में म्यांमार से बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान आ रहे हैं।

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