सीबीआई बनाम सीबीआई के बहुचर्चित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आलोक वर्मा को हटाने से पहले लेनी चाहिए सेलेक्ट कमिटी से सहमति।

नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो के बहुचर्चित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को बड़ा राहत दी है। मंगलवार को सुनाए गए फैसले में न्यायाधीश संजय किशन कौल ने सरकार के आदेश को रद करते हुए कहा कि आलोक वर्मा को हटाने से पहले सेलेक्ट कमिटी से सहमति लेना चाहिए।

सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा ने पूर्व संयुक्त निदेशक राकेश अस्थाना के साथ विवाद के चलते शक्तियां छीने जाने व छुट्टी पर भेज जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी। अस्थाना और वर्मा के बीच भ्रष्टाचार को लेकर छिड़ी जंग के सार्वजनिक होने के बाद केंद्र सरकार ने पिछले साल 23 अक्टूबर को दोनों अधिकारियों को उनके अधिकारों से वंचित कर छुट्टी पर भेज दिया था। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने संयुक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को सीबीआई के निदेशक का अस्थायी कार्यभार सौंप दिया था।


छह दिसंबर को पूरी हो गई थी सुनवाई

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई, संजय किशन कौल और केएम जोसेफ की पीठ ने पिछले साल छह दिसंबर को याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली थी। पीठ ने वर्मा, केंद्र सरकार, केंद्रीय सतर्कता आयोग और अन्य की दलील सुनने के बाद कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा।

शीर्ष दालत ने गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज की याचिका पर भी सुनवाई की थी। इस संगठन ने कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल से राकेश अस्थाना सहित जांच ब्यूरो के तमाम अधिकारियों के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कराने का अनुरोध किया था। कोर्ट ने जांच सीबीआई की गरिमा बनाए रखने के उद्देश्य से केंद्रीय सतर्कता आयोग को कैबिनेट सचिव से मिले पत्र में लगाए गए आरोपों की जांच दो सप्ताह के भीतर पूरी करके अपनी रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में सौंपने का निर्देश दिया था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश एके पटनायक को सीवीसी जांच की निगरानी का जिम्मा सौंपा था।


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