कर चोरी पर नजर रखने के लिए एनएचएआई के फास्टैग से जोड़ा जाएगा ई-वे बिल, छिपाई नहीं जा सकेगी सामान की आवाजाही।
नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (GST) की चोरी करने वालों की अब शामत आ सकती है। दरअसल, ई-वे बिल सिस्टम को आगामी अप्रैल से एनएचएआई के फास्टैग (Fastag) मैकेनिज्म से जोड़ा जा सकता है ताकि सामान की आवाजाही और जीएसटी चोरी पर नजर रखी जा सके। ई-वे बिल को एक अप्रैल 2018 से देशभर में लागू किया गया था।
दरअसल, ट्रांसपोर्टर्स के साथ परामर्श के बाद राजस्व विभाग ने ई-वे बिल, फास्टैग और डीएमआईसी के लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक (LDB) सेवाओं को एकीकृत करने के लिए एक समिति का गठन किया है। एक अधिकारी ने बताया, ” हमारी जानकारी में आया है कि कुछ ट्रांसपोर्टर्स काफी सारे फेरे लगा रहे हैं पर बिल एक ही बनवा रहे हैं। ई-वे बिल को फास्टैग के साथ इंटीग्रेट करने से व्हीकल की लोकेशन को ट्रैक करना आसान होगा साथ ही यह भी जानना कि कब और कितनी बार ट्रांसपोर्टर्स ने एनएचएआई के टोल प्लाजा को क्रॉस किया है।” अधिकारी ने बताया कि इस इंटीग्रेटेड सिस्टम को अखिल भारतीय स्तर पर अप्रैल से लागू किए जाने की योजना है। इंटीग्रेटेड सिस्टम को पायलट आधार पर कर्नाटक में कार्यान्वित किया जा रहा है। उक्त अधिकारी ने बताया कि अधिकारी समिति सभी हितधारकों को इसके लाभ बताएगी। इस कदम से देश के लॉजिस्टिक्स परिदृश्य में परिचालन क्षमता में भी सुधार होगा।