नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में करीब 2 साल से खामोश डीजे फिर बजेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में डीजे पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार कर दिया है। 20 अगस्त 2019 में हाईकोर्ट ने डीजे पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि इससे ध्वनि प्रदूषण होता है और यह अप्रिय एवं खिन्न करने वाला होता है।
न्यायमूर्ति विनीत शरण और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया। देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा है कि एक निजी पक्ष द्वारा दायर याचिका पर इस तरह का सामान्य आदेश पारित नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने प्रभवित पक्ष को बिना सुने ही आदेश पारित कर दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के समक्ष दायर याचिका में इस तरह का आदेश पारित करने की गुहार भी नहीं लगाई गई थी। बावजूद इसके हाईकोर्ट ने डीजे पर प्रतिबंध का आदेश पारित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून के तहत ऐसा नहीं किया जा सकता।
सुनवाई के दौरान इस कारोबार से जुड़े लोगों की ओर से पेश वकील दुष्यंत पाराशर का कहना था कि डीजे ऑपरेटर विवाह समारोह, जन्मदिन पार्टी और खुशी के अन्य मौकों पर अपनी सेवाएं देकर रोजी-रोटी चलाते हैं। हाईकोर्ट के आदेश से उनकी आजीविका पर संकट पैदा हो गया है। याचिका में कहा गया है कि यह उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।