लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी ने आज अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करते हुए 100 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया। बसपा ने मुख्य रूप से समाजवादी पार्टी का वोट बैंक माने जाने वाले मुसलमानों की करीब 20 प्रतिशत भागीदारी के मद्देनजर इनको अपनी तरफ आकषिर्त करने के लिये पहली सूची में 100 में से 36 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं।बसपा की तरफ से जारी एक बयान के मुताबिक पार्टी मुखिया मायावती ने इन प्रत्याशियों के नाम घोषित करते हुए कहा है कि बाकी सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की सूची भी जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी। मायावती ने गत मंगलवार को लखनउ में प्रेस कांफ्रेंस में बताया था कि बसपा ने प्रदेश विधानसभा की सभी 403 सीटों पर प्रत्याशी तय कर लिये हैं। उनमें से 87 टिकट दलितों को, 97 टिकट मुसलमानों को और 106 सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने वाले उम्मीदवारों को दी गयी हैं।उन्होंने कहा था कि बाकी 113 सीटों पर अगड़ी जातियों को टिकट दिये गये हैं। इनमें ब्राहमणों को 66, क्षत्रियों को 36, कायस्थ, वैश्य और सिख बिरादरी के 11 लोगों को उम्मीदवार बनाया गया है। मायावती ने कहा था कि विपक्षी दलों के लोग बसपा पर जातिवादी पार्टी होने का आरोप लगाते हैं, लेकिन पार्टी ने समाज के सभी वर्गो के लोगों को टिकट देकर साबित किया है कि वह जातिवादी बिल्कुल भी नहीं है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मुसलमानों का एकजुट वोट किसी भी सियासी समीकरण को बना और बिगाड़ सकता है। वर्ष 2012 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में मुसलमानों के लगभग एक पक्षीय मतदान की वजह से सपा को प्रचंड बहुमत मिला था। विधानसभा की 403 में से करीब 125 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाने वाले मुसलमानों का वोट इस बार अगर विभाजित हुआ तो माना जा रहा है कि इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा। यही वजह है कि मायावती ने मुसलमानों को सलाह देते हुए कहा था कि सपा दो टुकड़ों में बंट गयी है, लिहाजा मुसलमान उसे वोट देकर अपना मत बेकार ना करें।
भाषा

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