नई दिल्ली । देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अपने ग्राहकों को झटका देने की तैयारी कर ली है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 1 अप्रैल से बैंक खाते में न्यूनतम राशि न रखने वालों से जुर्माना वसूलेगा। बैंक ने मिनिमम बैलेंस की सीमा शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के हिसाब से तय की है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक एसबीआई ने तय किया है कि महानगरों में बैंक अकाउंट रखने वालों को 5000 रुपए मिनिमम बैलेंस रखना होगा।
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग सीमा
शहरी क्षेत्रों में यह सीमा 3 हजार रुपए, सेमी अरबन क्षेत्र 2 हजार रुपए और गांव की शाखाओं में बैंक खाता रखने वालों को 1 हजार रुपए मिनिमम बैलेंस रखना होगा। एक अप्रैल से ऐसा नहीं करने वालों पर पेनल्टी लगाई जाएगी।
देश के सबसे बड़े ऋणदाता ने बचत बैंक खातों के परिचालन और प्रणालियों के प्रबंधन पर होने वाले खर्च की आंशिक तौर पर भराई के लिए यह शुल्क वसूलने की योजना बनाई है।
एसबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बैंक के मौजूदा समय में लगभग 25 करोड़ बचत खाते हैं। बैंक ने नोटबंदी के बाद से बड़ी तादाद में खाते खोले हैं। इन खातों में शून्य जमा वाले खाते भी शामिल हैं। इन खातों का प्रबंधन करने पर खर्च आता है। वर्ष 2012 में बैंक ने नए ग्राहक आकर्षित करने के लिए न्यूनतम बैलेंस के उल्लंघन पर जुर्माने वाले नियम को समाप्त कर दिया था। इस कदम का मकसद सस्ती जमाओं को आकर्षित करना भी था, क्योंकि बचत खाते पर ब्याज महज 4 फीसदी है।
निकासी और जमा को लेकर बैंकों ने उठाए हैं कड़े कदम
बता दें कि हाल के दिनों में बैंकों ने कुछ कड़े कदम उठाए हैं। एक मार्च से एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक ने एक महीने में चार बार से अधिक धन जमा करने या निकासी पर न्यूनतम 150 रुपए शुल्क लगाना शुरू किया। एचडीएफसी बैंक ने एक परिपत्र में कहा कि यह शुल्क बचत के साथ-साथ वेतन खातों पर भी लगेगा। यह आज (बुधवार, 1 मार्च) से प्रभाव में आ गया है।
परिपत्र के अनुसार साथ ही एचडीएफसी बैंक ने तीसरे पक्ष के लिये नकद लेनदेन की सीमा 25,000 रुपए प्रतिदिन तय की। इसके अलावा नकद रखरखाव शुल्क वापस लिया जाएगा। ये सभी बुधवार (1 मार्च) से प्रभाव में आ गये हैं। इस कदम को नकद लेन-देन को हतोत्साहित करने तथा डिजिटल भुगतान अभियान को गति देने के कदम के रूप में देखा जा रहा है।